‘जड़ें जो उखाड़ी नहीं जा सकतीं’
संसार की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी जीवित चीज़ों में से एक हैं कैलिफॉर्निया के सिकुआ पेड़। ये बुलन्द अजूबे प्रौढ़ावस्था में कुछ ३०० फुट ऊँचे होते हैं और ३,००० से भी ज़्यादा वर्ष जी सकते हैं।
जबकि सिकुआ को देखना विस्मय-प्रेरक है, इसका अदृश्य जड़-तंत्र भी उतना ही प्रभावशाली है। सिकुआ की जड़ें चपटी चटाई की तरह होती हैं जो तीन या चार एकड़ तक के क्षेत्र को घेर सकती हैं। यह विशाल जड़-तंत्र बाढ़ या तेज़ हवाओं के समय भी मज़बूत पकड़ प्रदान करती है। यहाँ तक कि सिकुआ के लिए एक शक्तिशाली भूकंप को भी सहना संभव है!
राजा सुलैमान ने अपने एक नीतिवचन में एक पेड़ के मज़बूत जड़-तंत्र को एक रूपक के तौर पर चुना। “दुष्टता द्वारा कोई मनुष्य स्वयं को स्थिर नहीं कर सकता” उसने कहा, “परन्तु अच्छे मनुष्यों की जड़ें उखाड़ी नहीं जा सकतीं।” (नीतिवचन १२:३, द न्यू इंग्लिश बाइबल) जी हाँ, दुष्ट दृढ़ता से स्थिर नहीं रहेंगे। जो भी सफलता उन्हें मिलती प्रतीत होती है वह सिर्फ़ अल्पकालिक है, क्योंकि यहोवा प्रतिज्ञा करता है कि “दुष्टों की आशा टूट जाती है।”—नीतिवचन १०:२८.
यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जो मसीही होने का दावा करते हैं, क्योंकि यीशु ने कहा कि कुछ लोगों में “जड़ न” होगी और वे ठोकर खाएँगे। (मत्ती १३:२१) इसके अलावा, प्रेरित पौलुस ने उन व्यक्तियों के बारे में लिखा जो “[झूठे] उपदेश की, हर एक बयार से उछाले, और इधर-उधर घुमाए” जाएँगे। (इफिसियों ४:१४) इसे किस तरह रोका जा सकता है?
जैसे सिकुआ की जड़ें पृथ्वी की पोषक मिट्टी में विस्तारित तौर पर फैलती हैं, वैसे ही हमारे मन और हृदय को परमेश्वर के वचन में विस्तारित रूप से खोज करने और उससे जीवन-दायक जल लेने की ज़रूरत है। यह हमें एक मज़बूती से जड़ पकड़े विश्वास को विकसित करने में मदद करेगा। निश्चित ही, हम तूफ़ानी परीक्षाओं के प्रभावों को महसूस करेंगे। विपत्ति के समय में, एक पेड़ की तरह हम शायद डगमगाएँगे भी। लेकिन अगर हमारा विश्वास सुस्थिर है, तो साबित होगा की हमारी “जड़ें उखाड़ी नहीं जा सकतीं।”—इब्रानियों ६:१९ से तुलना कीजिए।