पाठकों के प्रश्न
क्या एक ऐसा टीका या कोई दूसरा चिकित्सीय इन्जेक्शन लेना उचित होगा जिसमें मानव लहू से प्राप्त ऐल्ब्यूमिन है?
स्पष्टतया, इस विषय में हर मसीही को व्यक्तिगत रूप से निर्णय लेना है।
परमेश्वर के सेवक उचित ही प्रेरितों १५:२८, २९ में दिए गए निदेश, लहू से परे रहो, का पालन करना चाहते हैं। इसलिए, मसीही झटका (लहू-सहित) माँस या लहू के सॉसेज जैसे उत्पादन नहीं खाएँगे। लेकिन परमेश्वर का नियम चिकित्सा क्षेत्र में भी लागू होता है। यहोवा के गवाह एक दस्तावेज़ लेकर चलते हैं जिसमें लिखा होता है कि वे ‘रक्त-आधान, पूर्ण रक्त, लाल कोशिकाएँ, श्वेत कोशिकाएँ, बिंबाणु, या रक्त प्लाविका’ लेने से इनकार करते हैं। लेकिन, सीरम इन्जेक्शनों के बारे में क्या जिनमें एक लहू प्रोटीन की छोटी-सी मात्रा होती है?
गवाह बहुत पहले से मानते हैं कि यह हर व्यक्ति के अपने बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण के सामंजस्य में व्यक्तिगत निर्णय का विषय है। यह जून १, १९९० की द वॉचटावर के “पाठकों के प्रश्न” में बताया गया था, जिसमें सीरम इन्जेक्शनों की चर्चा की गयी थी जिनकी सिफ़ारिश एक चिकित्सक किसी ख़ास तरह की बीमारियों से असुरक्षित व्यक्ति से कर सकता है। ऐसे इन्जेक्शनों के सक्रिय अवयव अपने आप में रक्त प्लाविका नहीं हैं, लेकिन ये उन जीवों की रक्त प्लाविका के रोगप्रतिकारक हैं जिन्होंने प्रतिरोध शक्ति विकसित कर ली है। कुछ मसीही जो महसूस करते हैं कि वे एक अच्छे अंतःकरण के साथ ऐसे इन्जेक्शन लगवा सकते हैं, उन्होंने नोट किया है कि रोगप्रतिकारक एक गर्भवती स्त्री के लहू से उसकी कोख में बच्चे के लहू में जाते हैं। “पाठकों के प्रश्न” ने इसका और साथ ही उस तथ्य का उल्लेख किया था कि कुछ ऐल्ब्यूमिन गर्भवती स्त्री से उसके बच्चे में जाता है।
अनेक लोग इसे उल्लेखनीय पाते हैं, क्योंकि कुछ टीके जो लहू से नहीं बनते उनमें अपेक्षाकृत छोटी मात्रा में प्लाविका ऐल्ब्यूमिन हो सकता है जो निर्मिति में संघटकों को स्थिर करने के लिए प्रयोग किया गया या मिलाया गया था। आजकल एक छोटी मात्रा में ऐल्ब्यूमिन का प्रयोग कृत्रिम हारमोन ईपीओ (एरिथ्रोपोइटिन) के इन्जेक्शनों में भी किया जाता है। कुछ गवाहों ने ईपीओ के इन्जेक्शन लिए हैं क्योंकि यह लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में तेज़ी ला सकता है और इस प्रकार एक चिकित्सक को इस भावना से मुक्त कर सकता है कि रक्त-आधान की ज़रूरत हो सकती है।
भविष्य में ऐसे अन्य चिकित्सीय उत्पादन प्रयोग में आ सकते हैं जिनमें तुलनात्मक रूप से छोटी मात्रा में ऐल्ब्यूमिन सम्मिलित हो, क्योंकि औषधीय कंपनियाँ नए उत्पादन विकसित करती हैं या वर्तमान उत्पादनों के फ़ार्मूले बदल देती हैं। अतः मसीही ध्यानपूर्वक देखना चाहेंगे कि डॉक्टर जिस टीके या अन्य इन्जेक्शन की सिफ़ारिश करता है उसमें ऐल्ब्यूमिन है या नहीं। यदि उन्हें संदेह हैं या उनके पास यह विश्वास करने का कारण है कि ऐल्ब्यूमिन उसका एक अवयव है, तो वे अपने चिकित्सक से पूछ-ताछ कर सकते हैं।
जैसा नोट किया गया है, अनेक गवाहों ने ऐसा इन्जेक्शन लेने से इनकार नहीं किया है जिसमें एक छोटी मात्रा में ऐल्ब्यूमिन है। फिर भी, जो कोई एक व्यक्तिगत निर्णय लेने से पहले विषय का पूरी तरह अध्ययन करने का इच्छुक है उसे जून १, १९९० की द वॉचटावर के “पाठकों के प्रश्न” में प्रस्तुत जानकारी पर पुनर्विचार करना चाहिए।