क्या परमेश्वर संसार पर शासन करता है?
रविवार की सुबह है। अनेक लोग बिस्तर से उठते हैं, तैयार होते हैं, नाश्ता करते हैं, और गिरजे की ओर दौड़ते हैं। वहाँ वे एक प्रवचन सुनते हैं कि कैसे परमेश्वर, अद्वितीय अधिकार के साथ पृथ्वी पर सर्वोच्च-अधिकारी के तौर पर शासन करता है। उनको बताया जाता है कि वह लोगों की बहुत ज़्यादा परवाह करता है। यीशु मसीह का भी ज़िक्र किया जाता है। वे शायद सुनते हैं कि वह राजाओं का राजा है जिसके सामने आज्ञाकारिता में सभी घुटने टेकते हैं।
गिरजे से घर लौटने पर, ये लोग शायद टेलीविज़न चालू करें और समाचार देखें। अब वे अकाल, अपराध, नशीले पदार्थों के दुष्प्रयोग, और ग़रीबी के बारे में सुनते हैं। और वे बीमारी और मृत्यु के दयनीय दृश्य देखते हैं।
ऐसे व्यक्ति गिरजे में सुनी हुई बातों पर शायद विचार करने लगें, ख़ास तौर पर उन बातों के बारे में जो वहाँ कभी समझायी नहीं जातीं। यदि परमेश्वर प्रेममय और सर्व-शक्तिमान दोनों है, तो भयंकर घटनाएँ क्यों घटती हैं? और यीशु मसीह के बारे में क्या? प्रत्यक्षतः, उसके प्रति आज्ञाकारिता में घुटने न टेकनेवाले अनेक लोग हैं।
[पेज 3 पर तसवीरें]
यदि परमेश्वर संसार पर शासन करता है, तो ऐसा दुःख और हलचल क्यों है?
[पेज 2 पर चित्र का श्रेय]
Cover: NASA photo