दर्पण क्या प्रकट करता है?
एक दर्पण देखिए। आपको क्या दिखता है? कभी-कभी, दर्पण में एक झलक आपकी बाह्याकृति की किसी शर्मिंदा करनेवाली ऐसी कमी को प्रकट करती है जिसे दूसरों के देखने से पहले ठीक करने में आप ख़ुश हैं।
बाइबल काफ़ी कुछ एक दर्पण की तरह है। अपने बारे में सही दृष्टिकोण प्राप्त करने में यह हमारी मदद कर सकती है, जो हमें यह सोचने से रोकेगा कि परमेश्वर की नज़रों में हम अतिमहत्त्वपूर्ण—या अतिमहत्त्वहीन—हैं। (मत्ती १०:२९-३१; रोमियों १२:३) इसके अतिरिक्त, बाइबल हमारे शब्दों, कार्यों, या मनोवृत्तियों की कमियों को प्रकट कर सकती है जिन्हें ठीक करने की हमें ज़रूरत है। जब ऐसा होता है, तब क्या आप दर्पण जो प्रकट करता है उसकी उपेक्षा करेंगे?
बाइबल लेखक याकूब कहता है: “जो कोई वचन का सुननेवाला हो, और उस पर चलनेवाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। इसलिये कि वह अपने आप को देखकर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।”—याकूब १:२३, २४.
इसकी विषमता में, याकूब दूसरे एक व्यक्ति का वर्णन करता है, वह व्यक्ति जो “स्वतन्त्रता की सिद्ध व्यवस्था को लगन से देखता रहता है और उस पर बना रहता है।” (याकूब १:२५, NHT) “लगन से देखता” अनुवादित यूनानी शब्द का अर्थ है देखने के लिए पास झुकना या आगे को झुकना। नए नियम का धर्मविज्ञानी शब्दकोश (अंग्रेज़ी) कहता है कि “इसमें एक क्षणिक दृष्टि से अधिक शामिल है।” यह शब्द छिपी हुई वस्तु के लिए ध्यानपूर्वक खोज को सूचित करता है। बाइबल टीकाकार आर. वी. जी. टास्कर लिखता है, “कुछ महत्त्वपूर्ण चीज़ है जो देखनेवाला देखना चाहता है, चाहे उसे देखना और उसके अर्थ को तुरन्त समझना शायद उसके लिए कठिन हो।”
क्या आप इस प्रकार परमेश्वर के वचन के दर्पण में अपनी जाँच करेंगे और फिर जिसकी वह माँग करता है उसके अनुरूप होंगे? याकूब आगे बताता है: “वह सुन कर भूल नहीं जाता, वरन् फलप्रद कार्य करता है—इसलिए वह आशिष पाएगा।”—याकूब १:२५, NHT.