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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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निर्दोष पीड़ितों के लिए राहत

यह मनुष्यों द्वारा अब तक किए गए अपराधों में से एक सबसे घृणास्पद अपराध है—बच्चों का आनुष्ठानिक बलि। कुछ लोग इस पर विश्‍वास नहीं करते कि एक ऐसी घिनौनी प्रथा कभी रही होगी। लेकिन अनेक पुरातत्वीय खोजों ने फीनीके के वासियों की उपासना के इस पहचान-चिन्ह की पुष्टि की है।

कुलीन परिवारों के बच्चों को तानित और बाल-हम्मोन जैसे देवी-देवताओं के लिए आग में बलि चढ़ाया जाता था। कार्थेज में, शिकार बनाए गए छोटे बच्चों को क्रोनस की कांस्य मूर्ति को बलि के रूप में जलाया जाता था। सामान्य युग पूर्व प्रथम शताब्दी का इतिहासकार, डाएडोरस सिकलस कहता है कि बच्चे के रिश्‍तेदारों को रोने की इजाज़त नहीं थी। शायद यह विश्‍वास किया जाता था कि वेदनाश्रु बलि के मूल्य को कम कर देते।

कुछ समयावधि के लिए, यरूशलेम के निकट प्राचीन तोपेत में एक ऐसे ही अनुष्ठान का अभ्यास किया जाता था। वहाँ उपासक नाचते और ज़ोरों से डफलियाँ बजाते ताकि जब बच्चे को मोलेक के पेट की भट्ठी में डाला जाता था तब उसकी चिल्लाहट सुनना असम्भव हो।—यिर्मयाह ७:३१.

यहोवा उन लोगों से बहुत क्रोधित होता है जो बेदर्द रूप से दूसरों के दर्द को समझने से इनकार करते हैं। (नीतिवचन २१:१३ से तुलना कीजिए।) बच्चों के लिए करुणा दिखानेवाला परमेश्‍वर होने के नाते, यक़ीनन यहोवा इन निर्दोष पीड़ितों को ‘धर्मी और अधर्मी दोनों के जी उठाने’ में शामिल करेगा।—प्रेरितों २४:१५; निर्गमन २२:२२-२४.

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