देना क्या इसकी अपेक्षा की जाती है?
आप शायद अच्छी तरह जानते होंगे कि उपहारों का देना अकसर प्रथा द्वारा नियंत्रित होता है। अधिकांश संस्कृतियों में ऐसे अवसर होते हैं जब उपहारों की अपेक्षा की जाती है। ऐसे उपहार आदर की निशानी या प्रेम की अभिव्यक्तियों के तौर पर दिए जा सकते हैं। उनमें से अनेक उपहारों का प्रापक द्वारा कभी प्रयोग नहीं किया जाता; कुछ और वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं और उनका बहुत ही मूल्यांकन किया जाता है।
डॆनमार्क में जब एक शिशु पैदा होता है, मित्र और सम्बन्धी मिलने आएँगे और अपने साथ ऐसे उपहार ले आएँगे जो वे आशा करते हैं कि बच्चे के लिए उपयोगी होंगे। अन्य देशों में, मित्र शायद एक पार्टी दें, जिसमें होनेवाले बच्चे के लिए ऐसे उपहार दिए जाते हैं।
अनेक मामलों में, जिन अवसरों पर उपहारों की अपेक्षा की जाती है वे वार्षिक अवसर होते हैं। यद्यपि ऐसे उत्सव प्रारंभिक मसीहियों की रीत नहीं थी, वे अधिकांश तथाकथित मसीहियों और वैसे ही ग़ैर-मसीहियों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हो गए हैं। अन्य संस्कृतियों में बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं तो जन्मदिन के उपहार देने की रीत शायद कम हो जाए, लेकिन यूनानियों की प्रथा कुछ और ही माँग करती है। यूनान में जन्मदिनों को काफ़ी ध्यान दिया जाता है। वे एक व्यक्ति को उसके “नाम दिन” पर भी उपहार देते हैं। वह क्या है? धार्मिक प्रथा के अनुसार, वर्ष के प्रत्येक दिन के लिए एक अलग “संत” है, और अनेक लोगों के नाम ‘संतों’ के नामों पर रखे जाते हैं। जब उस “संत” का दिन आता है, जिन व्यक्तियों का वह नाम होता है उन्हें उपहार मिलते हैं।
अपने बच्चों के लिए जन्मदिन समारोह के अतिरिक्त, कोरिया-वासियों की ‘बाल दिवस’ के तौर पर ज्ञात एक राष्ट्रीय छुट्टी होती है। यह ऐसा समय होता है जब परिवार घूमने जाता है और बच्चों को उपहार दिए जाते हैं चाहे उनके जन्म की तारीख़ कोई भी क्यों न हो। कोरिया-वासियों का ‘जनक दिवस’ भी होता है, जब बच्चे अपने माता-पिता को उपहार देते हैं, और ‘शिक्षक दिवस’ होता है जब बच्चे अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। कोरियाई प्रथा के अनुसार, जब एक व्यक्ति ६० वर्ष का होता है, एक बड़ी पार्टी आयोजित की जाती है। परिवार और मित्र मिलकर लम्बी उम्र और ख़ुशी की शुभकामनाएँ देते हैं, और जो व्यक्ति जीवन के उस मोड़ तक पहुँचा है उसे उपहार दिए जाते हैं।
विवाह एक और अवसर है जब प्रचलित प्रथा के अनुसार शायद उपहारों की माँग हो। जब केन्या में एक जोड़ा विवाह करता है, तो दूल्हे के परिवार से अपेक्षा की जाती है कि दुल्हन के परिवार को एक उपहार पेश करे। मेहमान भी उपहार लाते हैं। अगर दूल्हा और दुल्हन प्रथा का पालन करें, तो वे एक मंच पर बैठेंगे, जब मेहमान अपने उपहार ले आते हैं। जैसे-जैसे उपहार दिया जाता है, घोषणा की जाएगी कि “फलाँ-फलाँ व्यक्ति जोड़े के लिए उपहार लाया है।” अगर उन्हें ऐसा सम्मान न मिले, तो अनेक देनेवाले बहुत ही नाराज़ होंगे।
लेबनॉन-वासियों में, जब कोई व्यक्ति विवाह करता है, तो मित्र और पड़ोसी, यहाँ तक कि जो लोग जोड़े को अच्छी तरह नहीं जानते, वे भी बाद में कई दिनों तक उपहार लेकर आते हैं। बचपन से, उन्हें सिखाया गया है कि उपहार देना एक ज़िम्मेदारी है, एक कर्ज़ चुकाने की तरह। एक लेबनॉन-वासी व्यक्ति ने कहा, “अगर आप ऐसा नहीं करते, तो आपको अच्छा नहीं लगता। यह परम्परा है।”
लेकिन, उन सभी अवसरों में से जब देने की अपेक्षा की जाती है, अनेक देशों में क्रिसमस सबसे आगे है। आप जहाँ रहते हैं क्या वहाँ ऐसा नहीं? हाल ही में, १९९० में यह अनुमान लगाया गया कि अमरीकी हर वर्ष $४,००० करोड़ से अधिक क्रिसमस उपहारों पर ख़र्च करते हैं। उस त्योहार को जापान में बौद्ध और शिन्टो लोगों द्वारा भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और इस उत्सव के विभिन्न रूप यूरोप, दक्षिण अमरीका और अफ्रीका के भागों में पाए जाते हैं।
क्रिसमस ऐसा समय है जब लोग ख़ुश होने की अपेक्षा करते हैं, लेकिन अनेकों ख़ुश नहीं होते। और अनेक व्यक्ति पाते हैं कि उपहारों की अंधाधुंध ख़रीदारी और बिल चुकाने की चिन्ता, उन सुख की घड़ियों पर छा जाती है जिनका वे अनुभव करते हैं।
फिर भी, बाइबल कहती है देने में ख़ुशी मिलती है। वाक़ई मिलती है, यह जिस भावना से किया जाता है उस पर निर्भर करता है।—प्रेरितों २०:३५.