ईरीना की मनपसन्द गीत-पुस्तक
अभी ज़्यादा दिन नहीं हुए, सोफिया, बल्गारिया की एक नौ वर्षीया लड़की ईरीना ने, यहोवा के एक साक्षी के तौर पर बपतिस्मा लिया। वह गीत-गाना बेहद पसन्द करती है और ख़ासकर यहोवा के स्तुति-गीत गाइए पुस्तक के गानों का आनन्द लेती है। इसलिए ईरीना ने हर महीने कुछ गानों को कंठस्थ करने का लक्ष्य बनाया।
स्कूल में ईरीना का एक मनपसन्द विषय है संगीत। सो उसकी संगीत अध्यापिका हैरान थी जब ईरीना ने स्कूल गायक-मण्डल में गाने की एक पेशकश को ठुकरा दिया।रीना ने इनकार क्यों किया? उसने यह समझ लिया कि जिस संगीत को गाने की उससे माँग की जाती, वह अधिकांशतः राष्ट्रीय वीरों और त्यौहारों को महिमा देता है जिनका विधर्मी उद्गम है। यहाँ तक कि कुछ गाने राष्ट्रीय आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए विद्रोह और हिंसा की तरफ़दारी करते हैं। अध्यापिका इस मामले में ईरीना की स्थिति को समझ नहीं सकी। ईरीना ने अपने धार्मिक विश्वासों को प्रस्तुत करते हुए अपनी शिक्षिका को एक पत्र लिखने का आश्रय लिया—लेकिन सफलता नहीं मिली।
ईरीना के पिता को एक उपाय सूझा। उसने अध्यापिका को यहोवा के स्तुति-गीत गाइए पुस्तक की एक प्रति दी जिसमें वे गीत थे जिन्हें गाना ईरीना को बेहद पसन्द था। कुछ दिनों के बाद, अध्यापिका ने ईरीना को संगीत कक्ष में बुलाया। उसने ईरीना को पुस्तक में से अपने कुछ मनपसन्द गीत गाने के लिए कहा—उसके समकक्षों की उपस्थिति में—जबकि अध्यापिका पियानो पर उसका साथ दे रही थी। प्रस्तुति एक घंटे से ज़्यादा तक चली! अध्यापिका को यह मानना पड़ा कि ईरीना की मनपसन्द गीत-पुस्तक में कुछ मधुर धुनें थीं।