राज्य उद्घोषक रिपोर्ट करते हैं
परमेश्वर के वचन की कायापलट करने की शक्ति
वह ख़ुद स्वीकार करता है, वह “निन्दा करनेवाला, और सतानेवाला, और अन्धेर करनेवाला” हुआ करता था। (१ तीमुथियुस १:१३) लेकिन उसमें परिवर्तन आया! प्रेरित पौलुस की इस हद तक कायापलट हुई कि वह बाद में कह सका: “तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।”—१ कुरिन्थियों ११:१.
आज, संसार-भर में लाखों सच्चे उपासक समान परिवर्तन कर रहे हैं। क्या बात उन्हें ऐसा करने के लिए समर्थ करती है? वे परमेश्वर के वचन का ज्ञान ले रहे हैं और उसे अपने जीवन में लागू कर रहे हैं। निम्नलिखित अनुभव परमेश्वर के वचन की कायापलट करने की शक्ति को विशिष्ट करता है।
स्लोवीनीया में एक वृद्ध दम्पति एक गाँव के बाहर अकेले रहते थे। पति, योज़े, क़रीब ६० वर्ष की आयु के थे और उन्हें मद्यव्यसनता की बहुत ही बुरी समस्या थी। फिर भी, वो अपनी बीमार पत्नी, ल्यूदमीला की देखभाल करते थे। एक दिन योज़े के पास दो राज्य उद्घोषक आए। उन्होंने उन साक्षियों को अपने घर में आमंत्रित किया, जहाँ वे उसकी पत्नी से मिले। राज्य संदेश को सुनने के बाद, ल्यूदमीला की आँखों से ख़ुशी के आँसू बह निकले। योज़े ने भी जो उसने सुना उसका आनन्द लिया और अनेक सवाल पूछे। उस दम्पति को कुछ बाइबल साहित्य देने के बाद, वे साक्षी चले गए।
एक महीने बाद वे साक्षी लौट पाए, और उन्होंने मेज़ पर रखी हुई किताब आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं को देखा। जब पूछा गया कि उन्हें यह किताब कहाँ से मिली, तो योज़े ने कहा: “आप जो पत्रिकाएँ मेरे पास छोड़ गए थे उनमें से एक के आख़िरी पन्ने पर मैं ने एक इश्तहार देखा था। सो मैं ने ज़ागरॆब में आपके दत्नतर को लिखा और इस किताब का निवेदन किया।” योज़े की दिलचस्पी को देखते हुए, उन्हें शीघ्र आनेवाले मसीह की मृत्यु के स्मारक में उपस्थित होने का आमंत्रण दिया गया जो राज्यगृह में आयोजित किया जानेवाला था। साक्षियों को ख़ुशी हुई, जब वो आए!
जल्द ही बाइबल अध्ययन शुरू किया गया, और अच्छी प्रगति हुई। उदाहरण के लिए, जब योज़े को बाइबल से दिखाया गया कि “तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, . . . उनको दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना,” तो उसने तुरन्त घर में जो धार्मिक मूर्तियाँ थीं उन सभी को इकट्ठा किया, जिनमें तस्वीरें भी थीं, और उन्हें फेंक दिया।—निर्गमन २०:४, ५.
आध्यात्मिक सत्य के लिए योज़े की प्यास तृप्त की जा रही थी। लेकिन, दुःख की बात थी कि उन्हें एक और चीज़ की प्यास अब भी थी। कुछ १८ सालों से, उन्होंने हर दिन क़रीब दस लीटर मदिरा पी थी। उनकी पीने की समस्या के कारण, उन्होंने अपने व्यक्तिगत दिखाव-बनाव पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया था। लेकिन शराब के दुरुपयोग पर परमेश्वर के दृष्टिकोण को जानने के बाद, वो परिवर्तन करने के लिए दृढ़-संकल्पी थे।
उन्होंने धीरे-धीरे अपनी पीने की समस्या पर क़ाबू पाने का प्रयास किया, और यह हिसाब रखा कि वो हर दिन कितना पी रहे थे। जल्द ही वो मदिरा के गुलाम नहीं रहे। अपने बाइबल अध्ययन के दौरान, उन्होंने यह भी सीखा कि सच्चे मसीहियों से अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने की माँग की जाती है। इसलिए, उन्होंने साक्षियों को पैसे दिए और कहा: “मसीही सभाओं और क्षेत्र सेवा में योग्य रूप में होने के लिए मुझे जिन-जिन कपड़ों-लत्तों की ज़रूरत है उन्हें जाकर ले आइए!” साक्षी जाँघियों, जुर्राबों, जूतों, कमीज़ों, सूट, टाई, और एक ब्रीफ़केस के साथ लौटे।
एक साल के लिए बाइबल का अध्ययन कर लेने के बाद, योज़े और ल्यूदमीला घर-घर प्रचार कार्य में साक्षियों के साथ जाने के लिए योग्य हुए। तीन महीने पश्चात् उन्होंने यहोवा के साक्षियों के एक ज़िला अधिवेशन में परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण को पानी के बपतिस्मे के द्वारा चिन्हित किया। वृद्धावस्था और ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद, योज़े ने नियमित रूप से सुसमाचार को प्रचार करने में भाग लिया और बाद में, १९९५ के मई में उनकी मृत्यु तक वफ़ादारी से कलीसिया में एक सहायक सेवक के तौर पर सेवा की। इस विनीत मनुष्य और उनकी पत्नी के जीवन में उत्पन्न सकारात्मक फल, परमेश्वर के वचन की कायापलट करने की शक्ति का सबूत देता है!