जलप्रलय की कथा बाइबल वृत्तान्त का समर्थन करती है
नूह के समय का विश्वव्यापी जलप्रलय एक ऐतिहासिक तथ्य है। संसार-भर की अनेक भिन्न सभ्यताओं की मौखिक कहानियों में इस वृत्तान्त के कई रूप मिलते हैं। अफ्रीकी देश चाड में, मुसाई जनजाति जलप्रलय का वर्णन इस प्रकार करती है:
‘एक समय की बात है, एक दूर देश में, एक परिवार रहता था। एक दिन, इस परिवार की माँ अपने प्रियजनों के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाना चाहती थी। सो उसने आटा पीसने के लिए अपनी ओखली ओर मूसली ली। उस समय आसमान आज की तुलना में काफ़ी पास था। असल में, यदि आप हाथ बढ़ाकर उसे छूने की कोशिश करते, तो छू सकते थे। उसने अपना पूरा दम लगाकर आटा पीसा, और जो बाजरा वह पीस रही थी जल्द ही आटे में बदल गया। लेकिन जब वह पीस रही थी, तब उस स्त्री ने लापरवाही से मूसली को बहुत ऊँचा उठा दिया, और उसने आसमान में एक छेद कर दिया! तुरन्त, पृथ्वी पर ढेर सारा पानी गिरने लगा। यह कोई साधारण बारिश नहीं थी। सात दिन और सात रात पानी बरसा जब तक कि पूरी पृथ्वी पानी में डूब नहीं गयी। जैसे-जैसे बारिश हुई, आसमान ऊपर उठता गया जब तक कि वह वहाँ नहीं पहुँच गया जहाँ वह आज है—पहुँच से दूर। मानवता के लिए कितनी बड़ी विपत्ति! तब से, हमने अपने हाथ से आसमान को छूने का सुअवसर खो दिया है।’
दिलचस्पी की बात है कि विश्वव्यापी जलप्रलय के बारे में बतानेवाले प्राचीन वृत्तान्त संसार-भर में पाए जा सकते हैं। अमरीका की मूल सभ्यताओं साथ ही ऑस्ट्रेलिया के आदिवासियों, सभी के पास इसके बारे में कहानियाँ हैं। बारीक़ियाँ फ़र्क हो सकती हैं, लेकिन अधिकांश वृत्तान्तों में यह विचार है कि पृथ्वी पानी में डूब गयी थी और केवल थोड़े ही लोग एक मानव-निर्मित जलयान में बचे। इस विषय की व्यापक उपस्थिति इस तथ्य का और समर्थन करती है कि एक विश्वव्यापी जलप्रलय अवश्य आया था, जैसा कि बाइबल में बताया गया है।—उत्पत्ति ७:११-२०.