एक पत्रिका जो हृदय को छू लेती है
जानकारी या मनोरंजन के लिए पाठकों की भूख को तृप्त करने के लिए संसार-भर में अनगिनत पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं।
जो पत्रिका आपके हाथ में है उसे कौन-सी बात इतना विशेष बनाती है? निम्नलिखित पत्र, जो जर्मनी की वॉच टावर सोसाइटी के शाख़ा दत्नतर द्वारा प्राप्त किया गया था, शायद जवाब प्रदान करे:
“प्रिय भाइयों, आपके प्रयासों और कार्य के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। जब मैं और मेरे दो बेटे सभा से लौटे, तो हालाँकि रात के ९:३० बज रहे थे, मुझे बस [ऑडियो कैसेट पर] नवीनतम प्रहरीदुर्ग सुननी ही थी। जैसे-जैसे मैं बर्तन धो रही थी, मैंने (अप्रैल १, १९९५) का पहला अध्ययन लेख सुनना शुरू किया। मुझे लगा कि मुझे इसे एक बार और सुनना चाहिए, सो मैंने रसोई का अपना काम छोड़ा और प्रहरीदुर्ग में लेख [“परमेश्वर की नज़रों में आप बहुमूल्य हैं!”] टेप के साथ-साथ पढ़ा। इसने मेरे हृदय को छू लिया, ख़ास तौर पर चौथे और पाँचवे अनुच्छेदों ने। और फिर आँसू बहने लगे—लेकिन ज़्यादा देर तक नहीं। मैं यहोवा की आभारी हूँ कि मैं जीवित हूँ और उसके लोगों का हिस्सा हूँ और कि मैं, दूसरे अनेक लोगों के साथ, उसके नाम का प्रचार कर सकती हूँ। वाक़ई बेकार महसूस करने का कोई कारण नहीं है। यहोवा की आत्मा उसके लोगों के साथ है। ऐसा हो कि हम सभी धीरज धरें और विश्वास में दृढ़ता से, संयुक्त होकर खड़े रहें। मसीही स्नेह के साथ, विश्वास में आपकी बहन।”
प्रहरीदुर्ग जानकारी से कहीं अधिक देती है। यह अपने पाठकों के हृदयों को छू लेती है और आध्यात्मिक ख़ुराक़ और सामयिक प्रोत्साहन की उनकी अभिलाषा को तृप्त करती है। जी हाँ, प्रहरीदुर्ग “समय पर . . . भोजन” प्रदान करती है।—मत्ती २४:४५.