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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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युद्ध के लिए कौन दोषी है?

मनुष्यजाति द्वारा लड़े गए युद्धों के लिए क्या परमेश्‍वर दोषी है? “जी नहीं, परमेश्‍वर युद्ध नहीं चाहता।” इस तरह, एक जाने-माने जर्मन प्रोटॆस्टॆन्ट पादरी, मार्टीन नीमलर ने द्वितीय विश्‍वयुद्ध की समाप्ति के थोड़े ही समय बाद इस सवाल का जवाब दिया था। उसकी टिप्पणियाँ १९४६ में आच गॉट फॉम हिमल ज़ी डारीन—ज़ेक्स प्रीडिग्टॆन (हे ईश्‍वर, स्वर्ग से देख—छः उपदेश) नामक एक पुस्तक में प्रकाशित हुई थीं।a पुस्तक कहती है:

“कोई भी व्यक्‍ति जो [युद्धों] के लिए परमेश्‍वर को दोषी ठहराना चाहता है, वह परमेश्‍वर के वचन को नहीं जानता या जानना नहीं चाहता है। निश्‍चय ही, यह एक दूसरी बात है कि हम मसीही लगातार युद्धों के लिए काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार हैं या नहीं। और हम इस सवाल से इतनी आसानी से बच नहीं सकते। . . . इसे भी यथार्थ रूप से याद किया जा सकता है कि युगों के दौरान, मसीही गिरजों ने ख़ुद को युद्धों, सेनाओं, और हथियारों को आशिष देने के लिए अर्पित किया और कि उन्होंने बड़े ही अमसीही तरीक़े से युद्ध में अपने शत्रुओं के विनाश के लिए प्रार्थना की। यह सारा हमारा क़सूर और हमारे बाप-दादाओं का क़सूर है लेकिन किसी भी तरीक़े से परमेश्‍वर दोषी नहीं है। और हम आज के मसीही गंभीर बाइबल विद्यार्थियों [यहोवा के साक्षियों] की तरह एक तथा-कथित पंथ के सामने शर्म से सिर झुकाते हैं, जो सैकड़ों और हज़ारों की तादाद में नज़रबन्दी शिविरों में गए और [यहाँ तक कि] मर भी गए क्योंकि उन्होंने युद्ध में सैन्य-सेवा करना अस्वीकार किया और इंसान पर गोली चलाने से इनकार किया।”

आज, द्वितीय विश्‍व युद्ध से लगभग ५० वर्ष बाद, नीमलर के शब्द शान्ति-प्रिय लोगों के सोचने के लिए विषय प्रदान करते हैं। जी नहीं, राष्ट्रों के रक्‍तपात के लिए परमेश्‍वर दोषी नहीं है! निश्‍चित ही, अपने सच्चे उपासकों के माध्यम से, जो संसार के झगड़ों से अलग रहते हैं, परमेश्‍वर सभी युद्धों के सन्‍निकट अन्त की घोषणा कर रहा है।—भजन ४६:९; यूहन्‍ना १७:१६.

[फुटनोट]

a मार्टीन नीमलर के उपदेश बाद में अंग्रेज़ी में पुस्तक दोष और आशा का में प्रकाशित किए गए थे। लेकिन, यह अंग्रेज़ी अनुवाद मूल जर्मन पाठ से भिन्‍न है, इसलिए यह उद्धरण सीधे जर्मन से अनुवादित किया गया है।

[पेज 32 पर चित्र का श्रेय]

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