कनेटीकट के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मरीज़ों के अधिकारों का समर्थन
अप्रैल १६, १९९६ के दिन, अमरीका में, कनेटीकट के सर्वोच्च न्यायालय ने रक्ताधानों से इनकार करने के यहोवा के साक्षियों के अधिकार का समर्थन किया। इस फ़ैसले ने जाँच अदालत के पिछले फ़ैसले को पलट दिया।
अगस्त १९९४ में, यहोवा की एक साक्षी, नॆली वेगा का अपने पहले बच्चे को जन्म देने के बाद बहुत ज़्यादा रक्तस्राव होने लगा। उसके रक्तस्राव को रोकने के प्रयास निरर्थक साबित हुए। जैसे-जैसे श्रीमती वेगा की हालत बिगड़ती गयी, अस्पताल ने रक्ताधान का अधिकार देनेवाला एक अदालती आदेश हासिल करना चाहा। श्रीमती वेगा ने पहले ही चिकित्सीय विमुक्ति दस्तावेज़ पर दस्तख़त कर दिए थे, जिसमें निर्देश थे कि अस्पताल में रहते वक़्त उसे लहू या लहू के संजात नहीं दिए जाएँ। इस दस्तावेज़ से अस्पताल उसके फ़ैसले से होनेवाले परिणामों के लिए किसी भी ज़िम्मेदारी से मुक़्त हो जाता। फिर भी, अस्पताल ने तर्क किया कि ज़बरदस्ती रक्ताधान देना, नवजात शिशु की भलाई के लिए काम करना होगा, जिसे अपनी माँ की ज़रूरत थी। जाँच अदालत को यह भी चिंता थी कि इस रक्तस्राव को छोड़ श्रीमती वेगा कम उम्र की, स्वस्थ स्त्री थीं। इस तरह, श्रीमती वेगा के पति और उसके वकील दोनों के विरोध के बावजूद, अदालत ने आदेश दिया और रक्ताधान किया गया।
कुछ समय बाद, कनेटीकट के सर्वोच्च न्यायालय के सामने यह मामला लाया गया। वहाँ, सर्वसम्मति से फ़ैसला लिया गया कि अस्पताल की कार्यवाही ने श्रीमती वेगा के अधिकारों का उल्लंघन किया है। उस फ़ैसले में कहा गया था: “जाँच अदालत के सामने सुनवाई आधी रात को अत्यंत आपात्कालीन परिस्थितियों में हुई, जो किसी भी पक्ष द्वारा अपने तर्क को अच्छी तरह विकसित कर पाने के लिए उचित नहीं थीं।”
कनेटीकट के सर्वोच्च न्यायालय का यह फ़ैसला, यहोवा के साक्षियों के अलावा अन्य लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है। “यह उन सभी मरीज़ों के लिए महत्त्व रखता है जो शायद अपने डॉक्टर के फ़ैसलों से सहमत न हों,” श्रीमती वेगा के वकील, डॉनल्ड टी. रिडली कहते हैं। “यह फ़ैसला, अस्पतालों द्वारा मरीज़ों के मूल्यों को, चाहे वे धार्मिक हों या लौकिक, कुचले जाने से रोकेगा।”