संभोगहीन विवाह?
मरियम के ज़िंदगी भर कुँवारी बने रहने के दावे और यूसुफ के साथ उसके ब्याह के बीच मेल बिठाने की कोशिश में बहुत से चित्रकारों और नक़्क़ाशों ने यूसुफ को एक बुज़ुर्ग आदमी के रूप में चित्रित किया है। उन्होंने तर्क किया कि यूसुफ असल में मरियम के पति से ज़्यादा उसका अभिभावक था। मगर पोप जॉन पॉल द्वितीय ने हाल ही में इस मामले पर एक अलग नज़रिया पेश किया। उसके मुताबिक़ यूसुफ “उस वक़्त बुज़ुर्ग नहीं था।” इसके बजाय “परमेश्वर की मेहरबानी की वज़ह से हासिल उसकी अंदरूनी सिद्धता ने उसे अपने विवाह में मरियम के साथ बिना संभोग रहने के लिए प्रेरित किया।”
अगर मरियम का इरादा हमेशा के लिए कुँवारी रहना था तो उसकी मंगनी क्यों हुई? पोप जवाब देता है “यह फर्ज़ किया जा सकता है कि मंगनी के वक़्त यूसुफ और मरियम के दरमियान, मरियम के कुँवारी रहने का एक समझौता था।”
मगर बाइबल मामले को अलग तरीक़े से पेश करती है। मत्ती का सुसमाचार कहता है कि यूसुफ ने “उसके साथ संभोग न किया जब तक कि वह एक बेटे को न जनी।” (मत्ती १:२५, कैथोलिक न्यू अमेरिकन बाइबल, तिरछे टाइप हमारे।) यीशु की पैदाइश के बाद यूसुफ और मरियम का वैवाहिक रिश्ता किसी भी तरह संभोगहीन नहीं रहा। इसका एक सबूत यह है कि बाद में इसी सुसमाचार में हम आगे देख सकते हैं कि यीशु के भाई और बहनें थीं।—मत्ती १३:५५, ५६.
इसलिए, जबकि बाइबल कहती है कि मरियम कुँवारी थी जब उसने यीशु को जन्म दिया, फिर भी इस दावे का कोई आधार नहीं है कि यूसुफ के साथ सारी ज़िंदगी वह कुँवारी रही।