क्यों न उनके साथ हो लें?
नजाउकूआ ऊलिम्बा ७३ बरस के हैं और पिछले साल वे करीब ४५० किलोमीटर की एक यात्रा पर गए थे। उन्होंने पूरा रास्ता पैदल ही तय किया जिसके लिए उन्हें १६ दिन लग गए।
इस बुज़ुर्ग सज्जन ने इतनी लंबी यात्रा यहोवा के साक्षियों के एक सालाना अधिवेशन में उपस्थित होने की खातिर की थी। अधिवेशन के बाद, पुलकित और आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होकर वे फिर—१६ दिन चलकर—घर लौटे। क्या यह प्रयास वाकई करने योग्य था? जी हाँ, बेशक! नजाउकूआ ऊलिम्बा ऐसी सालाना यात्रा कुछ सालों से करते आए हैं।
यह अफ्रीकी पुरुष उन डेढ़ करोड़ से भी ज़्यादा लोगों में से एक था, जो पिछले साल यहोवा के साक्षियों के अधिवेशनों में शरीक होने के लिए २३० से भी ज़्यादा देशों से आए थे। यह सच है कि अधिकांश लोगों को अधिवेशन स्थल तक पहुँचने के लिए कई दिनों तक चलना नहीं पड़ा। ज़्यादातर लोग कार, बस, ट्रेन या हवाई जहाज़ से पहुँचे। क्या आप उनमें से एक थे?
वर्ष १९९८ में पूरे संसार में फिर से अधिवेशन शुरू होंगे, खासकर गर्मी के महीनों में (या जब बरसात न हो)। अगर सेहत ने साथ दिया तो नजाउकूआ ऊलिम्बा वहाँ शरीक होने के लिए संभवतः फिर से पैदल वैसी ही लंबी यात्रा पर निकलेंगे। वे और करोड़ों अन्य लोग व्यावहारिक, विश्वास-मज़बूत करनेवाला और प्रोत्साहक कार्यक्रम सुनेंगे। शरीक होनेवाले सभी लोगों के लिए अधिवेशन उस साल की एक विशेषता होगी। उसमें शरीक होने के लिए आपका भी हार्दिक स्वागत है। आपके यहाँ के यहोवा के साक्षी आपके सबसे करीबी अधिवेशन का स्थान बताने के लिए बहुत खुश होंगे।