साइमनी से खबरदार रहिए!
सामरिया के रहनेवाले शमौन (साइमन) का अपने समाज में बहुत मान-सम्मान था। वह सा.यु. पहली सदी में जीया और लोग उसके जादू-टोने को देखकर इतना मोहित हो जाते थे कि वे उसके बारे में बोल उठते: “यह मनुष्य परमेश्वर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है।”—प्रेरितों ८:९-११.
मगर, जब शमौन बपतिस्मा पाकर मसीही बन गया तो उसने एक ऐसी शक्ति को काम करते हुए देखा जो पहले उसके द्वारा दिखाई गई शक्ति से कहीं बढ़कर थी। यह यीशु के प्रेरितों को दी गई शक्ति थी जिसका इस्तेमाल करके वे दूसरों को भी पवित्र आत्मा के वरदान दे सकते थे। यह देखकर शमौन इतना प्रभावित हुआ कि उसने प्रेरितों को रुपये देकर यह माँग की: “यह अधिकार मुझे भी दो, कि जिस किसी पर हाथ रखूं, वह पवित्र आत्मा पाए।”—प्रेरितों ८:१३-१९.
प्रेरित पतरस ने शमौन को डाँटकर कहा: “तेरे रुपये तेरे साथ नाश हों, क्योंकि तू ने परमेश्वर का दान रुपयों से मोल लेने का विचार किया। इस बात में न तेरा हिस्सा है, न बांटा; क्योंकि तेरा मन परमेश्वर के आगे सीधा नहीं।”—प्रेरितों ८:२०, २१.
बाइबल के इस वृत्तांत से ही अंग्रेज़ी शब्द “साइमनी” निकला है जिसका मतलब है “चर्च में किसी भी पद या ज़्यादा ऊँचे पद को खरीदना या बेचना जो कि एक पाप है।” न्यू कैथोलिक एनसाइक्लोपीडिया यह मानती है कि खासकर ९वीं सदी से लेकर ११वीं सदी तक “मठों, पादरियों, बिशपों और यहाँ तक कि पोप वर्ग के बीच साइमनी, एक आम बात हो गई थी।” दी एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका (१८७८) का नौवाँ खंड कहता है: “पोप के चुनाव के लिए चर्च की गुप्त सभाओं का इतिहास पढ़ने से एक व्यक्ति को यकीन हो जाता है कि चर्च में साइमनी (रिश्वतखोरी) के बिना कभी कोई चुनाव ही नहीं हुआ। और ज़्यादातर ऐसी सभाओं में बहुत ही नीचता और बेशर्मी से और खुलेआम रिश्वत दी और ली जाती थी।”
आज सच्चे मसीहियों को साइमनी (रिश्वतखोरी) से खबरदार रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, कुछ लोग शायद ऐसे लोगों की बढ़ा-चढ़ाकर तारीफ करें या उन्हें तोहफे दें जो उनको ज़्यादा ज़िम्मेदारी का पद दे सकते हैं। दूसरी ओर, जो लोग ऐसे पद दे सकते हैं वे भी शायद ऐसे लोगों को ही पद देना चाहेंगे जो उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा तोहफे दे सकते हैं और देना चाहते हैं। इन दोनों मामलों में साइमनी दिखाई देती है जो एक ऐसा बुरा काम है जिसकी बाइबल साफ-साफ निंदा करती है। पतरस ने शमौन से अनुरोध किया: “इसलिये अपनी इस बुराई से मन फिराकर प्रभु से प्रार्थना कर, सम्भव है तेरे मन का विचार [“तेरे मन का दुर्विचार”, नई हिन्दी बाइबल] क्षमा किया जाए। क्योंकि मैं देखता हूं, कि तू पित्त की सी कड़वाहट और अधर्म के बन्धन में पड़ा है।”—प्रेरितों ८:२२, २३.
खुशी की बात है कि शमौन को अपनी गलत अभिलाषा की गंभीरता का एहसास हुआ। उसने प्रेरितों से विनती की: “तुम मेरे लिये प्रभु से प्रार्थना करो कि जो बातें तुम ने कहीं, उन में से कोई मुझ पर न आ पड़े।” (प्रेरितों ८:२४) इस वृत्तांत में दिए गए खास सबक को मानकर सच्चे मसीही, साइमनी से खुद को बेदाग रखने की कोशिश करते हैं।