नाम को बदनाम मत होने दो
खूबसूरत पेंटिंग को ध्यान-से देखना एक हसीन अनुभव बन सकता है। नज़दीक से देखने पर एक आदमी यह जान सकता है कि कलाकार ने अलग-अलग रंगों को कैनवस पर उतारने के लिए हज़ारों बार ब्रश मारे हैं।
ठीक इसी तरह अच्छा नाम भी, मानो एक बार ब्रश मार देने से नहीं बन जाता। इसके लिए हमें सालों तक ढेर सारे छोटे-मोटे काम करने पड़ते हैं। जी हाँ, जो काम हम करते हैं उससे धीरे-धीरे हमारी इज़्ज़त बनती है।
दूसरी ओर, पेंटिंग पर एक ज़रा-सा गलत ब्रश लग जाए तो पेंटिंग की कीमत घट सकती है। ठीक इसी तरह हमारे नाम के साथ भी होता है। एक बुद्धिमान राजा, सुलैमान ने कहा: “मूढ़ता के कारण मनुष्य का मार्ग टेढ़ा होता है।” (नीतिवचन १९:३) बहुत ज़्यादा नहीं बस थोड़ी-सी मूर्खता बदनामी के लिए काफी होती है, जैसे सिर्फ एक बार आपे से बाहर हो जाना, बस एक बार हद से ज़्यादा शराब पी लेना, या लैंगिक रूप से सिर्फ एक गलत कदम उठाना—सारी इज़्ज़त, मिट्टी में मिला सकता है। (नीतिवचन ६:३२; १४:१७; २०:१) इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि हम अपना एक अच्छा नाम बनाने की कोशिश करें, और उसे किसी भी हाल में बदनाम न होने दें।—प्रकाशितवाक्य ३:५ से तुलना कीजिए।