वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w00 1/15 पेज 8
  • दानिय्येल की किताब समझाई गई!

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • दानिय्येल की किताब समझाई गई!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2000
  • मिलते-जुलते लेख
  • दानिय्येल की किताब और आपकी ज़िंदगी
    दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
  • यहोवा बेहतरीन इनाम देने का दानिय्येल से वायदा करता है
    दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
  • परखे गए—मगर यहोवा के वफादार निकले!
    दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
  • परमेश्‍वर का दूत हिम्मत बँधाता है
    दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2000
w00 1/15 पेज 8

दानिय्येल की किताब समझाई गई!

दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! 320 पेजवाली इस नई किताब की एक कॉपी पाने के लिए अधिवेशन में हाज़िर लोग कितने बेसब्र थे। इस किताब के बारे में उनकी राय क्या है? ज़रा सुनिए कि कुछ लोगों ने क्या कहा:

“ज़्यादातर किशोरों की तरह मुझे भी इतिहास की किताबें पढ़ने में मज़ा नहीं आता। इसलिए मैंने दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! किताब ले तो ली मगर उसे पढ़ने के लिए मुझे कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। फिर भी, मैंने उसे पढ़ना शुरू किया। और तब मुझे एहसास हुआ कि मेरी सोच कितनी गलत थी! यह वाकई एक बेहतरीन किताब है। यह इतनी दिलचस्प है कि पूरा पढ़े बिना चैन न आए। इसे पढ़ते वक्‍त मुझे यह नहीं लगा कि मैं बस इतिहास के पन्‍ने पलट रही हूँ। मुझे लगा जैसे इसमें लिखी घटनाएँ मेरी आँखों के सामने हो रही हैं और पहली बार मेरे दिल में यह खयाल आया कि अगर मैं दानिय्येल की जगह होती तो क्या करती। जब किसी को अपने परिवार से दूर एक अनजान देश में ले जाकर उसके विश्‍वास की बार-बार परीक्षा ली जाए तो कैसा होगा, यह मैंने महसूस किया। इस किताब के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।”—आन्या।

“इस बात से मुझे सचमुच तसल्ली मिलती है कि कोई भी बात यहोवा के बस के बाहर नहीं है और वक्‍त आने पर वह अपने सेवकों को ज़रूर बचाता है। दानिय्येल ने अपने, साथ ही दूसरों के दर्शनों और सपनों का जो मतलब बताया, वह ठीक-ठीक पूरा हुआ। उनसे यही ज़ाहिर हुआ कि कोई भी बात उसके मकसद को पूरा होने से रोक नहीं सकती। इससे हमारा यह विश्‍वास पक्का होता है कि नई दुनिया के बारे में बाइबल में दी गई सारी की सारी भविष्यवाणियाँ ज़रूर पूरी होंगी।”—चेस्टर।

“आपने जिस अंदाज़ से दानिय्येल की जीती-जागती तस्वीर पेश की है, वह मुझे बेहद पसंद आई। आपने उसके दिल की बात बखूबी ज़ाहिर की है और इससे मुझे उसके बारे में काफी कुछ जानकारी मिली। अब मैं समझ सकती हूँ कि दानिय्येल यहोवा का क्यों इतना अज़ीज़ था। बड़ी से बड़ी परीक्षाओं से गुज़रते वक्‍त भी दानिय्येल को सिर्फ एक ही बात की फिक्र रहती थी कि वह किस तरह यहोवा और उसके महान नाम की महिमा कर सकता है। उसने अपनी खुशियों की परवाह नहीं की। ऐसी बातें अच्छी तरह समझाने के लिए आपका शुक्रिया।”—जॉय।

“सच पूछो तो, हमें बस ऐसी ही किताब की ज़रूरत थी! पहली बार हमने जाना कि दानिय्येल की किताब में दी गई ज़्यादातर बातें हम में से हरेक के लिए मायने रखती हैं। जिस शाम मुझे यह नई किताब मिली उसी शाम मैंने इसका ज़्यादातर हिस्सा पढ़ लिया। मुझे यह किताब इतनी अच्छी लगी कि पढ़ते वक्‍त मैंने बीच में ही रुककर यहोवा से प्रार्थना की और उसे धन्यवाद कहा।”—मार्क।

“हमने तो कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे बच्चे इस किताब को इतना पसंद करेंगे। हमारा एक बच्चा पाँच साल का है और दूसरा बस तीन साल का। . . . बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक में दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह की कहानियाँ उनकी सबसे मनपसंद कहानियों में से हैं। अब दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! किताब से उन चार जवानों के बारे में पढ़कर हमारे बच्चों पर इतना अच्छा असर हुआ, जिसका हमने अंदाज़ा ही नहीं लगाया था। हमारे बच्चे इतने छोटे होने के बावजूद उन चार वफादार नौजवानों की कहानी अच्छी तरह समझ सके और यह भी देख सके कि वे किस तरह उन जवानों के जैसे बन सकते हैं। उन जवानों ने हमारे बच्चों के लिए क्या ही बेहतरीन मिसाल रखी! आप लोगों ने वाकई एक अनोखी किताब दी है! आपका लाख-लाख शुक्रिया!”—बेथल।

“उन इब्रानी लड़कों को अपने विश्‍वास की खातिर जिन परीक्षाओं से गुज़रना पड़ा उसके बारे में इतना अच्छा विवरण दिया गया है कि उसे पढ़ते वक्‍त मुझे लगा, मानो मैं भी उनके साथ हूँ। इससे मुझे यह जाँच करने में मदद मिली कि क्या मेरा विश्‍वास भी उनके विश्‍वास जैसा मज़बूत है। हर अध्याय के आखिर में दिया गया रिव्यू बॉक्स “आपने क्या समझा?” से पूरे अध्याय की खास बातें अपने ज़हन तक उतारने में मदद मिली है। एक और बेमिसाल किताब के लिए आपका फिर से शुक्रिया।”—लिडीया।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें