मनुष्य—मात्र उच्च-जाति पशु?
“इस पृथ्वी पर जीवन कैसे आया, इसके बारे में आपका जो मानना है, क्या उससे सचमुच कोई फर्क पड़ता है?”
इस सवाल के साथ ब्राज़ील की एक 16 साल की लड़की ने अपनी क्लास में एक भाषण शुरू किया। उसने यह भाषण इसलिए दिया क्योंकि जब उसने अपनी टीचर को जुलाई 8, 1998 की सजग होइए! पत्रिका दी तो टीचर ने उस लड़की से कहा कि वह उस पत्रिका में दिए गए सवाल, “मनुष्य—मात्र उच्च-जाति पशु?” पर क्लास को कुछ बातें बताए।
इस जवान साक्षी ने बताया कि विकासवाद की शिक्षा ने दुनिया में कैसी तबाही मचा दी है। विकासवाद सिद्धांत में सिखाया जाता है कि जो ताकतवर होता है वही संघर्ष करके दुनिया में टिक सकता है। अधिकतर लोगों का मानना है कि इस सिद्धांत पर विश्वास करने की वज़ह से ही कुछ लोग युद्ध को स्वाभाविक बात समझने लगे और ऐसे ही विचारों की वज़ह से फासीवाद और नात्सीवाद सामने आए हैं।
उस लड़की ने साबित किया कि इंसान और जानवर के बीच ज़मीन-आसमान का फर्क है। उसने फर्क बताते हुए कहा: “सिर्फ इंसान ही धार्मिकता के रास्ते पर चल सकता है। सिर्फ इंसान ही ज़िंदगी का मतलब और मकसद जानने की कोशिश करता है। किसी की मौत का दर्द सिर्फ इंसान ही महसूस कर सकता है और सिर्फ उसी में यह जानने की प्यास होती है कि इंसान दुनिया में कैसे आया और सिर्फ वही हमेशा-हमेशा तक जीने की ख्वाहिश भी रखता है। तो फिर यह कितना ज़रूरी है कि हम थोड़ा वक्त निकालकर यह जानने की कोशिश करें कि हम दुनिया में कैसे आए!”
टीचर ने इस सुंदर भाषण के लिए उस लड़की को शाबाशी दी। उसने कहा कि यह लड़की इसलिए इतनी अच्छी तरह बोल पाई है क्योंकि उसे किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। स्कूल में सभी जानते हैं कि वह सजग होइए! और प्रहरीदुर्ग जैसी बाइबल समझानेवाली पत्रिकाओं और किताबों को बहुत दिलचस्पी के साथ पढ़ती है।
यहोवा के साक्षियों को सचमुच फिक्र है कि विकासवाद का सिद्धांत जवान लोगों के दिलो-दिमाग पर कितना बुरा असर डाल रहा है। इसलिए वह लड़की जिस कलीसिया में जाती है, उसमें जवान साक्षियों को बताया गया था कि वे जुलाई 8, 1998 की सजग होइए! पत्रिका की कॉपी टीचरों और स्कूल के बच्चों को पढ़ने के लिए दें। इसलिए उस शहर के अलग-अलग स्कूलों में 230 पत्रिकाएँ बाँटी गईं। एक स्कूल में साइंस डिपार्टमेंट के अधिकारी ने सजग होइए! पत्रिका का सब्सक्रिप्शन भी माँगा।
जी हाँ, पृथ्वी पर जीवन कैसे आया, इस बारे में हम जो विश्वास करते हैं, उससे ज़रूर फर्क पड़ता है! इस जवान साक्षी और उसके दोस्तों ने साबित कर दिया कि वे एक सिरजनहार में विश्वास करते हैं और इसलिए उनकी ज़िंदगी में वाकई एक बड़ा फर्क आया है।