क्या आप एक—समझदार इंसान हैं?
मूसा ने इस्राएली जाति में से “बुद्धिमान, समझदार और अनुभवी पुरुषों” को चुनकर, लोगों का न्याय करने के लिए नियुक्त किया था। (व्यवस्थाविवरण 1:13, NW) जबकि अनुभव उम्र के साथ-साथ आता है, मगर सिर्फ अनुभव के आधार पर ही न्याय नहीं किया जा सकता। न्याय करने के लिए बुद्धि और समझ की भी ज़रूरत होती है।
एक इंसान की बातों और कामों से पता चल सकता है कि वह कितना समझदार है। वैबस्टर्स नाईन्थ डिक्शनरी के मुताबिक एक समझदार इंसान में यह खासियत होती है कि “जब खामोश रहने की ज़रूरत होती है तो वह अक्लमंदी दिखाते हुए खामोश रहता है।” जी हाँ, समझदार इंसान यह बात समझता है कि “चुप रहने का समय”, और “बोलने का भी समय,” होता है। (सभोपदेशक 3:7) अकसर चुपचाप रहने का अच्छा कारण होता है, बाइबल कहती है: “जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता वह बुद्धि [या समझ] से काम करता है।”—नीतिवचन 10:19.
मसीही बातचीत करते वक्त इस बात का खयाल रखते हैं कि वे समझदारी से बात करें। एक इंसान जो बहुत ज़्यादा बात करता है या बहुत ज़बरदस्त तरीके से बात करता है, ऐसा नहीं होता कि उसकी हर बात बहुत काम की या बहुत ज़रूरी हो। याद कीजिए कि ‘मूसा बातें करने में सामर्थी था।’ मगर इस्राएली जाति का ठीक से नेतृत्व करने के लिए उसे धीरज, नम्रता, और आत्म-अनुशासन सीखने की ज़रूरत थी। (प्रेरितों 7:22) इसलिए जिन्हें दूसरों पर नियुक्त किया जाता है उन्हें खासकर बहुत दीन बनकर रहने की कोशिश करनी चाहिए, और नम्रता भी दिखानी चाहिए।—नीतिवचन 11:2.
जिन लोगों को यीशु मसीह ने “अपनी सारी संपत्ति” पर सरदार ठहराया है, उन लोगों को परमेश्वर के पवित्र-शास्त्र में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान [या समझदार] दास,” बताया गया है। (मत्ती 24:45-47) यह दास अपनी हद को पहचानता है और जल्दबाज़ी में अपनी मनमर्ज़ी से यूँ ही कोई बात नहीं कह देता, और न ही यहोवा से साफ-साफ हिदायतें मिलने पर उसे मानने में देरी करता है। यह दास अच्छी तरह जानता है कि कब बोलने का वक्त है और कब चुप रहने का। हम सब मसीहियों को भी न सिर्फ दास वर्ग के विश्वास की नकल करनी चाहिए बल्कि उनकी तरह समझदारी से काम भी करना चाहिए।—इब्रानियों 13:7.