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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2001
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एहसान मानिए और खुश रहिए

कनाडा के एक अखबार कैल्गरी हॆरल्ड के मुताबिक, “दूसरों का एहसान मानना इंसानी स्वभाव का एक हिस्सा है।” हॆरल्ड ने प्राथमिक स्कूल में पढ़नेवाले नौ साल के कुछ छात्रों की बातों का हवाला दिया जिनसे उनकी टीचर ने कहा कि वे उन सारी चीज़ों के बारे में लिखें जिनके लिए वे शुक्रगुज़ार हैं। एक लड़के ने लिखा कि वह अपने परिवार के लिए बहुत आभारी है ‘क्योंकि वे उसकी देखभाल करते आए हैं।’ एक छोटी लड़की भी अपने परिवार के लिए बहुत एहसानमंद थी। उसने लिखा: “मेरे मम्मी-पापा मुझे महफूज़ रखते हैं, मेरी सेहत का ख्याल रखते, मेरी देखभाल करते, मुझे प्यार करते और मुझे खिलाते-पिलाते हैं। अगर वे न होते तो आज मैं दुनिया में ही न होती।”

एहसानफरामोश लोग हमेशा नाखुश रहते हैं। तत्त्वज्ञानी और धर्मविज्ञानी जे. आई. पैकर के मुताबिक, “हमें परमेश्‍वर पर और एक-दूसरे पर निर्भर रहकर जीने के लिए बनाया गया है।” यह हमें बाइबल की उस बुद्धि-भरी सलाह की याद दिलाता है जो सदियों पहले दी गई थी: “तुम धन्यवादी बने रहो।” (कुलुस्सियों 3:15) दूसरों को धन्यवाद देने और दिल से एहसानमंदी ज़ाहिर करने से हम आपस में ऐसे रिश्‍ते कायम कर सकेंगे जिसमें प्यार होगा और हम एक-दूसरे की परवाह करेंगे।

इतना ही नहीं, एक-दूसरे का एहसान मानने और कदर दिखाने से हम यह भी ज़ाहिर करते हैं कि हम यहोवा के आभारी हैं और वह इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करता। बाइबल कहती है: “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।” (2 इतिहास 16:9) परमेश्‍वर हमें यकीन दिलाता है कि जो लोग उसके नाम के लिए प्यार दिखाते हैं वह उस प्यार को याद रखता है। (इब्रानियों 6:10) जी हाँ, हमारे पास दूसरों के लिए एहसान ज़ाहिर करने की अच्छी वजह है क्योंकि यह एक ऐसा ईश्‍वरीय गुण है जिसे रोज़ दिखाने पर यहोवा को खुशी मिलती है और हमारी खुशी भी बढ़ती है। जैसे नीतिवचन 15:13 कहता है: “मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्‍नता छा जाती है।”

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