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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2002
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2002
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‘आगे के लिए बुद्धिमान बनो’

सत्रहवीं सदी के फ्राँसीसी निबंध-लेखक, शॉन डे ला ब्रूयेअर ने कहा: “ज़्यादातर लोग अपनी जवानी, ज़िंदगी के आखिरी सालों के लिए मुसीबतों की खाई खोदने में बिताते हैं।” जी हाँ, अगर एक जवान फैसला लेने में आनाकानी करता है, तो उसे दुःख और निराशा ही हाथ लगती है। दूसरी तरफ, अगर एक जवान अड़ियल हो, तो वह अपने गलत रास्ते से बाज़ नहीं आता और आगे की ज़िंदगी की खुशियों को आग में झोंक देता है। दोनों ही सूरत में, यानी सही काम करने से पीछे हटने या फिर गलत काम कर बैठने पर, एक जवान अपनी ज़िंदगी को गम के सागर में डुबो सकता है।

ऐसी नौबत से बचने का रास्ता क्या है? जवानों में जो आनाकानी करने का रवैया होता है, उसके बारे में परमेश्‍वर का वचन आगाह करते हुए जवानों को यह नसीहत देता है: “अपनी जवानी के दिनों में अपने [महान] सृजनहार को स्मरण रख, इस से पहिले कि विपत्ति के दिन और वे वर्ष आएं, जिन में तू कहे कि मेरा मन इन में नहीं लगता।” (सभोपदेशक 12:1) अगर आप एक जवान हैं, तो ‘अपने महान सृजनहार’ के बारे में सीखने का यही सुनहरा मौका है।

बाइबल किस तरह जवानों को नासमझी का काम करने से रोकती है? बाइबल कहती है: “सलाह को मानो, शिक्षा को ग्रहण करो; जिससे तुम आगे के लिए बुद्धिमान बन सको।” (नीतिवचन 19:20, नयी हिन्दी बाइबिल) बाइबल यह भी साफ-साफ बताती है कि जवानी में या किसी भी उम्र में परमेश्‍वर की बुद्धि की बातों को अनसुना करने या उसके खिलाफ जाने से एक इंसान को कैसे दर्दनाक अंजाम भुगतने पड़ते हैं। (नीतिवचन 13:18) इसके बिलकुल उलट, परमेश्‍वर की आज्ञाओं को मानने से एक इंसान की ‘आयु बढ़ती है और वह अधिक कुशल से रहता’ है यानी वह एक खुशहाल और संतोष से भरी ज़िंदगी जीता है।—नीतिवचन 3:2.

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