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  • दुखों का कहर टूटा
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
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दुखों का कहर टूटा

ढाई साल का ओअन घर के बाथरूम में खेल रहा था। वह किसी तरह चढ़कर दवाइयाँ रखने के कैबिनेट तक पहुँच गया, जो उसके माँ-बाप के हिसाब से उसकी पहुँच से बाहर था। उस कैबिनेट में जो चीज़ें रखी थीं, उनमें से एक शीशी पर उसकी नज़र पड़ी। ओअन ने उस शीशी का ढक्कन खोला और अंदर जो था उसे पी गया। इसके बाद तो उस परिवार पर दुखों का कहर टूट पड़ा!

उस शीशी में खतरनाक तेज़ाब था। बड़े अफसोस की बात है कि नन्हे ओअन की मौत हो गयी। उसके माता-पिता की तो मानो दुनिया ही उजड़ गयी। उसका पिता परसी, दिलासा पाने की उम्मीद से अपने चर्च गया। वहाँ उसने पादरी से पूछा: “हमारे साथ ही ऐसा क्यों हुआ?” पादरी ने जवाब दिया: “परमेश्‍वर को स्वर्ग में एक और नन्हा फरिश्‍ता चाहिए था।” यह सुनकर उसके माता-पिता बिलकुल टूट गए। उन्हें लगा कि यह सरासर नाइंसाफी है। क्या सचमुच परमेश्‍वर ने हम पर यह कहर ढाया है? निराश होकर परसी ने फैसला किया कि आज के बाद वह अपने चर्च से कोई नाता नहीं रखेगा।

परसी के परिवार में जो हुआ उसे याद करने पर उसके मन में ये सवाल उठे: ‘क्या मेरा बच्चा अब भी दर्द से तड़प रहा होगा? क्या मैं उसे कभी दोबारा देख पाउँगा?’

आपके मन में भी शायद ऐसे सवाल आए होंगे कि मरने पर हमारा क्या होता है और क्या भविष्य में यह मुमकिन होगा कि हमारे जिन अज़ीज़ों की मौत हो गयी है, उनसे हम दोबारा मिल सकेंगे। परमेश्‍वर का वचन, बाइबल इन सवालों पर रोशनी डालता है। इसमें ऐसी दुर्घटनाओं से गुज़रनेवाले सभी लोगों के लिए दिलासा देनेवाले साफ जवाब दिए गए हैं। सबसे बढ़कर, बाइबल हमें एक शानदार आशा के बारे में बताती है, जिसका परमेश्‍वर ने हमसे वादा किया है—पुनरुत्थान।

इस शानदार आशा के बारे में ज़्यादा जानने के लिए कृपया अगला लेख पढ़िए।

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