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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
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एक लंबे सफर का मिला बढ़िया फल

कांगो गणराज्य से मिली इस रिपोर्ट पर ध्यान दीजिए। यह रिपोर्ट दो सगी बहनों के बारे में है जो वहाँ के बासेकूसू नगर की रहनेवाली हैं। इन दोनों ने फैसला किया कि वे “परमेश्‍वर की महिमा करो” ज़िला अधिवेशन के लिए लीसाला नगर जाएँगी। अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए उन्हें एक लंबा सफर तय करना था और ऊपर से पूरे देश में युद्ध छिड़ हुआ था। ये बहनें आस लगायी हुई थीं कि अधिवेशन में आध्यात्मिक हिदायतें पाने और मसीही भाई-बहनों की संगति का मज़ा लेने के अलावा, उन्हें यहोवा के साक्षियों के किंशासा शाखा दफ्तर से आए प्रतिनिधियों से भी मिलने का मौका मिलेगा। देश-भर में गृह-युद्ध की वजह से वे बरसों से शाखा दफ्तर के प्रतिनिधियों से नहीं मिल पायी थीं। अब इस मौके पर वे अपनी तमन्‍ना पूरी करना चाहती थीं।

दोनों बहनों ने बासेकूसू नगर से करीब 300 किलोमीटर दूर लीसाला नगर तक का सफर एक डोंगी से तय किया। इसके लिए उन्हें दो नदियों और एक जंगल से गुज़रना पड़ा। पूरे तीन हफ्ते लग गए। ये दोनों बहनें पायनियर हैं, एक तीन साल से और दूसरी 19 साल से। इसलिए इस सफर का फायदा उठाकर रास्ते-भर में जो भी लोग मिलते, उन्हें वे राज्य की खुशखबरी सुनाती गयीं। इस तरह उन्होंने करीब 110 घंटे प्रचार में बिताए, 200 ट्रैक्ट और 30 पत्रिकाएँ लोगों को दीं।

नदी पार करते वक्‍त, उन्हें दरियाई घोड़ों और मगरमच्छों से बचते-बचाते निकलना पड़ा, जो उस इलाके में भारी तादाद में पाए जाते हैं। ऐसे जानवरों के होते रात को सफर करना खतरे से खाली नहीं था! इतना ही नहीं, उन्हें कई जगहों पर फौजी नाकों से गुज़रना पड़ा।

हालाँकि सफर बहुत लंबा और थकाऊ था, फिर भी इन बहनों ने खुशी-खुशी सबकुछ झेला और इसका उन्हें बढ़िया फल मिला। जब वे लीसाला के अधिवेशन में हाज़िर हुईं, तो वे फूली नहीं समा रही थी और उनका दिल यहोवा के लिए एहसानमंदी से उमड़ रहा था। उनके अंदर सच्चाई की उमंग और बढ़ गयी और वहाँ मौजूद 7,000 भाई-बहनों की संगति से उनका विश्‍वास और मज़बूत हुआ। अधिवेशन खत्म होने पर, घर लौटने के लिए उन्होंने एक बार फिर मुश्‍किलों से भरा वही सफर तय किया और घर पहुँचने पर अपने परिवारों को सही-सलामत पाया।

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