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  • दुत्कारे और सताए गए बुज़ुर्ग
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दुत्कारे और सताए गए बुज़ुर्ग

रात का वक्‍त था। एक चौकीदार चक्कर लगा रहा था। अचानक उसने देखा कि एक ऊँची, आलीशान इमारत के सामने दो लाशें पड़ी हुई हैं। यह देखते ही उसके रोंगटे खड़े हो गए। लाशें, एक बुज़ुर्ग जोड़े की थीं, जिसने आठवीं मंज़िल से कूदकर अपनी जान दे दी। उनकी खुदकुशी की खबर सुनकर लोगों को जितना धक्का लगा, उससे कहीं ज़्यादा धक्का खुदकुशी की वजह जानकर लगा। उस बुज़ुर्ग आदमी की जेब से एक परचा मिला जिसमें यह लिखा था: “अपने बेटे और बहू की बदसलूकी और उनसे ज़िल्लत सहते-सहते हम तंग आ चुके हैं, इसलिए हम अपनी जान ले रहे हैं।”

इस बुज़ुर्ग जोड़े के साथ जो-जो हुआ, वह शायद हर घर में न हो। मगर बुज़ुर्गों के साथ बदसलूकी आम हो चली है और यह बड़े अफसोस की बात है। जी हाँ, दुनिया के कोने-कोने में बुज़ुर्ग लोगों के साथ बुरा सलूक किया जा रहा है। नीचे दी गयी मिसालों पर एक नज़र डालें:

• एक अध्ययन के मुताबिक, कैनडा में बुज़ुर्ग नागरिकों में से 4 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उनके साथ बुरा सलूक किया गया या फिर दूसरों ने उनका नाजायज़ फायदा उठाया है। और उनके साथ ये ज़्यादती अकसर उनके घरवाले ही करते हैं। लेकिन बहुत-से बुज़ुर्ग लोग शर्म या डर की वजह से उनके साथ होनेवाले अत्याचार की रिपोर्ट नहीं करते हैं। इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अत्याचार सहनेवाले बुज़ुर्गों का सही हिसाब लगाया जाए, तो गिनती करीब 10 प्रतिशत होगी।

• इंडिया टुडे पत्रिका की एक रिपोर्ट कहती है: “भारत में परिवारों को देखने से ऐसा लगता है कि उनका आपसी प्यार और रिश्‍ता बहुत मज़बूत है। लेकिन हकीकत दिखाती है कि यही परिवार टूटकर बिखरते जा रहे हैं, क्योंकि ज़्यादातर बच्चे अपने बूढ़े माँ-बाप को बोझ समझते हैं।”

• अमरीका में ‘ज़ुल्म के शिकार बूढ़े लोगों का राष्ट्र केंद्र’ ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, “65 या उससे ज़्यादा उम्रवाले 10-20 लाख अमरीकी नागरिक, उन्हीं लोगों के हाथों घायल हुए हैं, या लूटे गए हैं, या फिर बुरे सलूक सहे हैं, जिन पर वे अपनी देखभाल या हिफाज़त के लिए निर्भर हैं।” कैलिफोर्निया राज्य के सैन डिऐगो शहर में, एक डेप्यूटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कहते हैं कि बूढ़े लोगों के साथ बुरा व्यवहार करना, “आज कानून के सामने सबसे गंभीर मसला बन गया है।” वे यह भी कहते हैं: “हालात को देखते हुए मुझे लगता है कि आनेवाले कुछ सालों में यह समस्या और भी बढ़ जाएगी।”

• न्यू ज़ीलैंड के कैनटरबरी शहर में यह समस्या बढ़ती जा रही है कि लोग खासकर जो ड्रग्स लेते हैं, शराबी हैं या जिन्हें जुए खेलने की लत हैं, वे अपने परिवार के उन बुज़ुर्गों को अपना निशाना बना रहे हैं जिनके पास पैसे, जायदाद वगैरह हैं। सन्‌ 2002 में कैनटरबरी में 65 बूढ़े लोगों के साथ बुरा सलूक किए जाने की रिपोर्ट मिली थी। मगर सन्‌ 2003 में यह संख्या तेज़ी से बढ़कर 107 हो गयी है। ऐसे ज़ुल्मों को रोकनेवाले एक संगठन के मुख्य प्रशासक कहते हैं कि बुरे सलूक के शिकार लोगों की गिनती ऊपर बतायी संख्या से कई गुना ज़्यादा है।

• द जपैन टाइम्स्‌ की एक रिपोर्ट कहती है: ‘जापान के वकीलों का संघ,’ यह सलाह देता है कि “दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों या घर पर मार-पीट के शिकार लोगों से ज़्यादा, सताए गए बुज़ुर्गों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।” क्यों? टाइम्स्‌ कहती है कि इसकी एक वजह है, “जब किसी बच्चे के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है या जब एक पति अपनी पत्नी को पीटता है, तो इसकी खबर फौरन लग जाती है। मगर जब किसी बुज़ुर्ग पर उनके बच्चे हाथ उठाते हैं, तो यह इतनी आसानी से पता नहीं चलता। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह बुज़ुर्ग खुद को इसके ज़िम्मेदार ठहराता है। यही नहीं, सरकार और इलाके के अधिकारियों ने भी इस समस्या को सुलझाने में नाकाम रहा है।”

दुनिया-भर में हो रहे ऐसे हादसों की कुछ मिसालों पर गौर करने के बाद, हम शायद ये पूछें: आखिर, इतने सारे बूढ़े लोगों के साथ बुरा सलूक क्यों किया जा रहा है? उन्हें क्यों नकारा जा रहा है? क्या ये हालात कभी सुधरेंगे? क्या बुज़ुर्गों को कहीं से दिलासा मिल सकता है?

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