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पाठकों के प्रश्‍न

प्रेरित पौलुस ने इब्रानियों को लिखी अपनी पत्री में “हाथ रखने” का ज़िक्र किया। क्या वह भाइयों के प्राचीन ठहराए जाने के बारे में बात कर रहा था या किसी और विषय के बारे में?—इब्रा. 6:2.

हम यह पूरे दावे के साथ तो नहीं कह सकते, मगर हाथ रखने का ज़िक्र करके पौलुस शायद पवित्र शक्‍ति का वरदान देने की बात कर रहा था।

यह सच है कि बाइबल बताती है कि कुछ लोगों को यहोवा की सेवा में इस्तेमाल करने के लिए उन पर हाथ रखे गए थे। मिसाल के लिए, मूसा ने अपने बाद इस्राएल का अगुवा बनने के लिए यहोशू ‘पर अपना हाथ रखा।’ (व्यव. 34:9) पहली सदी की मसीही कलीसिया में कुछ काबिल भाइयों पर हाथ रखकर उन्हें ज़िम्मेदारी के पद सौंपे गए थे। (प्रेरि. 6:6; 1 तीमु. 4:14) पौलुस ने तीमुथियुस को जल्दबाज़ी में आकर किसी पर हाथ रखने से मना किया था।—1 तीमु. 5:22.

लेकिन जब इब्रानियों की पत्री में पौलुस ने हाथ रखने का ज़िक्र किया, तो उसका क्या मतलब था? दरअसल पौलुस वहाँ के मसीहियों को उकसा रहा था कि अब जबकि उन्होंने ‘आरम्भ की बातें’ छोड़ दी हैं, वे “सिद्धता की ओर आगे बढ़ते” जाएँ। फिर वह उन्हें वे बातें गिनाता है, जिनमें उन्हें सिद्धता या प्रौढ़ता की ओर बढ़ते जाना है। जैसे ‘मरे हुए कामों से मन फिराना, और परमेश्‍वर पर विश्‍वास करना। बपतिस्मों [की शिक्षा देना] और हाथ रखना।” (इब्रा. 6:1, 2) क्या भाइयों के प्राचीन ठहराए जाने की बात को आरम्भ की बातों में गिना जा सकता है, जिसमें उन्हें प्रौढ़ता की ओर आगे बढ़ते जाना है? जी नहीं। प्राचीन बनने की ज़िम्मेदारी एक ऐसा लक्ष्य है जिसे वे भाई पाने की कोशिश करते हैं जो पहले से प्रौढ़ हैं। और यह ज़िम्मेदारी पाने के बाद वे इसे हलके तौर पर नहीं लेते। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि प्राचीन ठहराए जाने की बात, आरम्भ की बात है।—1 तीमु. 3:1.

मगर बाइबल में हाथ रखने का एक और मतलब है। पहली सदी में यहोवा ने इस्राएल जाति को ठुकरा दिया और आध्यात्मिक इस्राएल यानी अभिषिक्‍त मसीहियों की कलीसिया को अपने लोगों के तौर पर चुना। (मत्ती 21:43; प्रेरि. 15:14; गल. 6:16) इस बात का सबूत था, उन मसीहियों को पवित्र शक्‍ति के चमत्कारिक वरदान दिए जाना और उनमें से एक था, अन्य-अन्य भाषाओं में बोलना। (1 कुरि. 12:4-11) जब कुरनेलियुस और उसका घराना मसीही बने, तो यह ज़ाहिर हुआ कि उन्हें पवित्र शक्‍ति मिली, क्योंकि वे ‘भांति भांति की भाषा बोलने’ लगे थे।—प्रेरि. 10:44-46.

पवित्र शक्‍ति के ये वरदान कभी-कभी किसी पर हाथ रखकर दिए जाते थे। मिसाल के लिए, जब फिलिप्पुस ने सामरिया में प्रचार किया, तो बहुत-से लोगों ने बपतिस्मा लिया। इसके बाद, शासी निकाय ने प्रेरित पतरस और यूहन्‍ना को वहाँ भेजा। किस लिए? हम पढ़ते हैं: “तब [इन दोनों] ने [हाल ही में बपतिस्मा लिए लोगों] पर हाथ रखे और उन्हों ने पवित्र आत्मा [“पवित्र शक्‍ति,” NW] पाया।” इसका मतलब था कि उन्हें पवित्र शक्‍ति के वरदान यानी ऐसी काबिलीयतें मिलीं जो दूसरों को साफ नज़र आयीं। हम ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि जब शमौन ने, जो पहले टोना करता था, पवित्र शक्‍ति के उंडेले जाने पर चिन्ह और बड़े-बड़े कामों को होते देखा, तो उसने प्रेरितों से दूसरों पर हाथ रखने का अधिकार खरीदना चाहा। (प्रेरि. 8:5-20) इस घटना के बाद, इफिसुस में 12 लोगों ने बपतिस्मा लिया। इस बारे में कहा गया है: “जब पौलुस ने उन पर हाथ रखे, तो उन पर पवित्र आत्मा उतरा [“पवित्र शक्‍ति उतरी,” NW], और वे भिन्‍न-भिन्‍न भाषा बोलने और भविष्यद्वाणी करने लगे।”—प्रेरि. 19:1-7; 2 तीमुथियुस 1:6 से तुलना कीजिए।

इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए ऐसा मालूम होता है कि इब्रानियों 6:2 में पौलुस नए मसीहियों पर हाथ रखने की बात कर रहा था ताकि उन्हें पवित्र शक्‍ति के वरदान मिलें।

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