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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2016
w16 अगस्त पेज 30
एक फरीसी रिवाज़ के मुताबिक अपने हाथ धो रहा है और एक आदमी को नीची नज़र से देख रहा है जिसने पहले ही खाना शुरू कर दिया

आपने पूछा

यीशु के विरोधियों के लिए हाथ न धोना क्यों एक मसला बन गया था?

यह उन कई मसलों में से एक था जिनको लेकर यीशु के विरोधी, उसमें और उसके चेलों में दोष निकालते थे। मूसा के कानून में बताया गया था कि कौन-सी चीज़ें एक इंसान को अशुद्ध कर सकती हैं। जैसे, शरीर से रिसाव, कोढ़ और इंसान और जानवरों की लाश को छूने से। कानून में यह भी हिदायतें दी गयी थीं कि अशुद्धता कैसे दूर की जा सकती है। जैसे, एक व्यक्‍ति बलिदान चढ़ाकर, नहाकर या धोकर या पानी छिड़ककर ऐसा कर सकता था।—लैव्य. अध्या. 11-15; गिन. अध्या. 19.

यहूदी धर्म-गुरुओं ने, जिन्हें रब्बी भी कहा जाता है, इन कानूनों में खुद के नियम जोड़ दिए थे। एक किताब के मुताबिक रब्बियों ने और भी नियम बना दिए थे जिनमें बारीक जानकारियाँ थी कि एक व्यक्‍ति को क्या बात अशुद्ध कर सकती है और कैसे उससे दूसरे अशुद्ध हो सकते हैं। रब्बियों ने ये भी नियम बनाए थे कि किस तरह के बरतन और चीज़ें अशुद्ध हो सकती हैं और अशुद्ध नहीं हो सकतीं। साथ ही, दोबारा शुद्ध होने के लिए लोगों को कौन-से रीति-रिवाज़ मानने थे।

यीशु के विरोधियों ने उससे पूछा, “आखिर क्यों तेरे चेले हमारे बुज़ुर्गों की ठहरायी परंपराओं का पालन नहीं करते और दूषित हाथों से खाना खाते हैं?” (मर. 7:5) वे धर्म-गुरु यह नहीं कह रहे थे कि बिना हाथ धोए खाना खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। फरीसियों ने नियम बनाया था कि खाना खाने से पहले एक व्यक्‍ति को रिवाज़ के मुताबिक हाथ धुलवाने चाहिए। ऊपर ज़िक्र की गयी किताब यह भी बताती है, “सवाल यह भी था कि पानी डालने के लिए कौन-से बरतन इस्तेमाल किए जाने चाहिए, किस तरह का पानी अच्छा रहेगा, किसे पानी डालना चाहिए और कहाँ तक हाथ धोने चाहिए।”

इंसानों के बनाए इन सभी नियमों के बारे में यीशु का क्या कहना था? उसने यहूदी धर्म-गुरुओं से कहा, “यशायाह ने तुम कपटियों के बारे में बिलकुल सही भविष्यवाणी की थी, जैसा लिखा है: ‘ये लोग होंठों से तो मेरा आदर करते हैं, मगर इनके दिल मुझसे [यहोवा से] कोसों दूर रहते हैं। ये बेकार ही मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि ये इंसानों की आज्ञाओं को परमेश्‍वर की शिक्षाएँ बताकर सिखाते हैं।’ इंसानों की परंपराओं को पकड़े रहने के लिए, तुम परमेश्‍वर की आज्ञाओं को छोड़ देते हो।”—मर. 7:6-8.

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