मानवजाति के सृष्टिकर्ता में विश्वास विकसित करना
अधिकतर लोग जीवन के उद्गम और अर्थ के बारे में किसी-न-किसी निष्कर्ष पर पहुँच गए हैं। दु:ख की बात है, अनेक लोग क्रमविकास को जवाब के रूप में स्वीकार करने के लिए ग़लत ढंग से प्रभावित किए गए हैं। सृष्ट पुस्तक इस विषय के दोनों पहलुओं का गहरा अध्ययन करती है और बाइबल के समर्थन में ज़बरदस्त प्रमाण पेश करती है। हम उन निष्कपट व्यक्तियों की सहायता कैसे कर सकते हैं जिन्होंने सुनने की इच्छा दिखायी है? पुन:भेंट करने के द्वारा। जब हम लौटते हैं, तो हमेशा अच्छा होता है कि हम कहने के लिए अपने मन में कुछ निश्चित बात रखें जो हमारे सृष्टिकर्ता के रूप में यहोवा पर विश्वास विकसित करेगी।
२ यदि व्यक्ति ने बाइबल पर विश्वास व्यक्त किया था, आपका वार्तालाप शुरू करने के लिए यह प्रस्तावना प्रभावकारी हो सकती है:
▪“यशायाह ४५:१८ विश्व के आरंभ के बारे में ज़ोरदार कथन करता है; मैं जानना चाहूँगा कि आप इसके बारे में क्या सोचते हैं। [पढ़िए और टिप्पणी के लिए समय दीजिए।] यहोवा अपनी पहचान स्वर्ग और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता के रूप में कराता है। इस पृथ्वी पर जीवन के बारे में क्या? यशायाह ४२:५ उसका भी सारा श्रेय उसे ही देता है। [पढ़िए।] यदि बाइबल का कहना सच है, तो क्रमविकास ग़लत होना चाहिए। क्या आपको लगता है कि आप बाइबल पर भरोसा कर सकते हैं?” सृष्ट पुस्तक के अध्याय १७ की ओर ध्यान दिलाइए, और सृष्टिकर्ता के रूप में यहोवा पर विश्वास करने के लिए अतिरिक्त कारण बताइए।
३ आप अपना वार्तालाप कुछ इस तरह से शुरू कर सकते हैं:
▪“मेरी पिछली मुलाक़ात में यह सवाल उठा था, मनुष्य और पृथ्वी का क्या भविष्य है? ध्यान दीजिए कि वह पुस्तक जो मैंने आपके पास छोड़ी थी उस सवाल का जवाब कैसे देती है।” सृष्ट पुस्तक के पृष्ठ २३४-५ खोलिए और उसे अनुच्छेद ६ और ७ पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। यदि वह अतिरिक्त रुचि दिखाता है, तो आप पूछ सकते हैं: “आप के विचार से, कौन से नाटकीय परिवर्तन पृथ्वी पर घटित होने वाले हैं?” यदि उपयुक्त हो, तो सृष्ट पुस्तक के इसी अध्याय के दूसरे अनुच्छेदों में चर्चा जारी रखते हुए, इस मुद्दे पर उसी वक्त या आपकी अगली भेंट पर चर्चा की जा सकती है।
४ यदि गृहस्वामी ने “सर्वश्रेष्ठ मनुष्य” पुस्तक स्वीकार की थी तो आप पूछ सकते हैं:
▪“क्या आपने ध्यान दिया है कि आज अनेक लोग वह आनन्द पाने में असमर्थ हैं जिसे वे तलाश रहे हैं? यीशु मसीह ने सिखाया कि आनन्द किस तरह पाया जा सकता है, और वह आनन्द जो सही कार्य करने से प्राप्त होता है उसे अपने जीवन में प्रतिबिम्बित किया।” मत्ती ५:३-१२ (NW) की ‘खुशियों’ की ओर ध्यान आकर्षित कीजिए, जिनमें से कुछ का ज़िक्र सर्वश्रेष्ठ मनुष्य पुस्तक के अध्याय ३५ में किया गया है। ख़ासकर यह दिखाइए कि किस तरह अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों के प्रति सचेत होने से एक व्यक्ति आनन्द प्राप्त कर सकता है और समझाइए कि किस तरह एक गृह बाइबल अध्ययन लेना इस ज़रूरत की पूर्ति की ओर एक अच्छा क़दम है।
५ यह कहने के द्वारा आप एक दूसरे तरीक़े से पुन:भेंट शुरू कर सकते हैं:
▪“मानवजाति ने बुराई और दुष्टता के कारण काफ़ी पीड़ा और विपत्ति झेली है। यहोवा, इस पृथ्वी के सृष्टिकर्ता ने प्रतिज्ञा की है कि इन परिस्थितियों का अन्त होगा। [अध्याय १३३ खोलिए, और नीतिवचन २:२१, २२ पढ़िए।] यीशु के उदाहरण और शिक्षाओं के द्वारा परमेश्वर ने हमें जो सिखाया है, उसे सीखने और पालन करनेवाले लोग अद्भुत आशीषों की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर सकते हैं।” अध्याय २५, २६, ३७, ४४, ४६, ४७, ५२, ५८, और ७० जैसे अध्यायों में उल्लिखित एक या दो चमत्कारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के द्वारा दिखाइए कि कैसे हमारे पास एक ऐसी आशा का एक मज़बूत आधार है।
६ अनुभवी प्रकाशकों ने जान लिया है कि पुन:भेंट के लिए निश्चित समयों की सारणी बनाना सर्वोत्तम है। इस कार्य के लिए निश्चित प्रबन्ध करना हमें दिलचस्पी रखनेवालों के पास शीघ्रता से लौटने में सहायता करेगा। देखिए कि आपके और क्षेत्र में रहनेवाले लोगों के लिए सर्वोत्तम समय क्या है। इस कार्य में नियमित रूप से आपके भाग लेने से, आप ‘चेला बनाने’ की नियुक्ति आदेश को पूरा करने में आनन्द पाएँगे।—मत्ती. २८:१९, २०.