ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की कार्य-नियुक्तियों में सितम्बर २ से दिसम्बर २३, १९९६ के सप्ताहों में चर्चा किए गए विषय का बंद-पुस्तक पुनर्विचार। नियत समय में जितने सवालों के जवाब आप दे सकते हैं, उनको लिखने के लिए एक अलग काग़ज़ का प्रयोग कीजिए।
[सूचना: लिखित पुनर्विचार के दौरान, किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए, सिर्फ़ बाइबल इस्तेमाल की जा सकती है। सवालों के बाद दिए गए हवाले आपकी व्यक्तिगत खोज के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग के हवालों में शायद हर जगह पृष्ठ और अनुच्छेद क्रमांक नहीं दिए गए हों।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को सही या ग़लत चिन्हित कीजिए:
१. प्रकाशितवाक्य १३:१ में वर्णित सात सिरों और दस सींगोंवाला “पशु” शैतान अर्थात् इब्लीस के सिवाय और कोई नहीं है। [uw पृ. ६३ अनु. ४]
२. वास्तव में ऐसा कोई “महामच्छ” नहीं है जो एक व्यक्ति को पूरा निगलने में समर्थ है। (योना १:१७, NHT) [si पृ. १५३ अनु. ४]
३. सॆक्स के बारे में बाइबल का दृष्टिकोण मनुष्यों द्वारा विकसित किया गया जो कई साल पहले जीवित थे। [rs पृ. ३७० अनु. १]
४. दानिय्येल ९:२४, २५ की भविष्यवाणी यीशु के जन्म को सूचित करती है। [kl पृ. ३६ अनु. ८]
५. एक परिपूर्ण मनुष्य ग़लती करने में अयोग्य होता है। [rs पृ. ३७२ अनु. १]
६. चूँकि शैतान अपने आपको एक ज्योतिर्मय स्वर्गदूत के रूप में बदलने में समर्थ है, हमें पथभ्रष्ट नहीं होना चाहिए जब प्रेतात्मवादी माध्यमों द्वारा किए गए कुछ कार्य अस्थायी रूप से लाभ के लगते हैं। [rs पृ. ३८६ अनु. ३]
७. होशे की भविष्यवाणी मुख्यतः यहूदा के दो-गोत्र राज्य की ओर निर्दिष्ट थी। [si पृ. १४४ अनु. ८]
८. जो यहोवा की मित्रता और सुरक्षा चाहते हैं, उन्हें प्रेतात्मवादी सभाओं में शामिल होना पूरी तरह से छोड़ना होगा और प्रेरितों १९:१९ में दिए गए उदाहरण का पालन करना होगा। [rs पृ. ३८९ अनु. २]
९. सपन्याह ३:९ के मुताबिक़, परमेश्वर के लोग नए संसार में संयुक्त हो जाएँगे क्योंकि वे सभी एक समान भाषा—इब्रानी—में बात करेंगे। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI८९ ६/१ पृ. २९ देखिए।]
१०. दानिय्येल १२:१ की पूर्ति में, मीकाइल १९१४ से “खड़ा” रहा है जब वह परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य का राजा बना; जल्द ही वह अपराजेय योद्धा-राजा के रूप में यहोवा के नाम में “उठेगा,” और इस दुष्ट व्यवस्था पर नाश लाएगा। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९३ ११/१ पृ. २२ अनु. २३ देखिए।]
निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए:
११. हाग्गै २:७ में सूचित की गयी “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” कौन हैं, और ये किस तरीक़े से ‘आती’ हैं? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI८९ ६/१ पृ. ३० अनु. ५ देखिए।]
१२. तीन इब्रानियों द्वारा किया गया कौन-सा शास्त्रीय कथन प्रकट करता है कि परमेश्वर के प्रति उनकी आज्ञाकारिता ईश्वरीय सुरक्षा और छुटकारे पर निर्भर नहीं थी? (दानि. ३:१६-१८) [si पृ. १४१ अनु. १९]
१३. कौन-सा शास्त्रवचन मसीहा के जन्मस्थल को पूर्वबताता है? [si पृ. १५६ अनु. ६]
१४. यीशु के नाम पर किए गए शक्तिशाली कार्य परमेश्वर के अनुग्रह या समर्थन का निश्चित प्रमाण क्यों नहीं होता? [kl पृ. ४६ अनु. ६-७]
१५. किस तरह से १ कुरिन्थियों १५:४५, NW, प्राण के बारे में इब्रानी शास्त्र जो कहता है उसका समर्थन करता है? [rs पृ. ३७६ अनु. १]
१६. जब यीशु ने अपने पिता से पुकारकर कहा “मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं,” तो वह किस बात का ज़िक्र कर रहा था? (लूका २३:४६) [rs पृ. ३८३ अनु. २]
१७. भजन १४६:४ यह सूचित करने के लिए कौन-सी अभिव्यक्ति का इस्तेमाल करता है कि एक व्यक्ति की जीवन शक्ति मृत्यु होने पर कार्य करना बन्द कर देती है? [rs पृ. ३८५ अनु. २]
१८. किसने इस विचार को गढ़ा कि मनुष्य वास्तव में नहीं मरते हैं, और बाइबल में वह आरम्भिक झूठ कहाँ है जो इस झूठी शिक्षा से सम्बन्धित है? [rs पृ. ३८५ अनु. ५]
१९. हाग्गै २:९ (NW) में, कौन-सा मन्दिर ‘बाद का भवन’ था, कौन-सा ‘पहला’ था, और “बाद के भवन” की महिमा ‘पहले’ वाले से बढ़कर क्यों थी? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI८९ ६/१ पृ. २९ देखिए।]
२०. होशे १४:२ (NHT) इस्राएलियों से क्या करने का आग्रह कर रहा था, और आज यहोवा के साक्षी उस भविष्यवाणी को कैसे पूरा करते हैं? (इब्रा. १३:१५, NHT) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९४ ९/१ पृ. १९ अनु. १-२ देखिए।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को पूरा करने के लिए आवश्यक शब्द या वाक्यांश दीजिए:
२१. _________________________ द्वारा अपने परमेश्वर-प्रदत्त कार्य को वहाँ पूरा करने के कुछ २०० साल बाद भविष्यवक्ता _________________________ द्वारा _________________________ शहर को खूनखराबे का शहर कहा गया। [si पृ. १५४ अनु. १०, पृ. १६० अनु. १०]
२२. हमें विश्वास और प्रेम से भरे हृदय के द्वारा प्रेरित होते हुए परमेश्वर की उपासना _________________________ से करने की ज़रूरत है; उसके वचन का अध्ययन करने के द्वारा हमें _________________________ से भी उसकी उपासना करनी चाहिए। [kl पृ. ४५ अनु. ४]
२३. आध्यात्मिक रूप से सुरक्षित रहने के लिए, हमें परमेश्वर की ओर से दिए गए सारे हथियारों में से किसी भी अंश को धारण करने से नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, जिसमें _________________________ _________________________ की झिलम,” “मेल के _________________________ की तैयारी,” _________________________ की ढाल,” _________________________ का टोप,” और “आत्मा की _________________________ है। [uw पृ. ६८ अनु. १४]
२४. प्रमाण के तीन पहलू जो साबित करते हैं कि यीशु मसीहा था हैं (१) _________________________ , (२) _________________________ , और (३) _________________________ । [kl पृ. ३३-३८ अनु. ६-१०]
२५. _________________________ में रोमियों द्वारा यरूशलेम के नाश के बाद, _________________________ एक जाति के तौर पर इतिहास से मिट गए, ठीक जैसे ओबद्याह ने पूर्वबताया था। [si पृ. १५२ अनु. १२]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन में सही जवाब चुनिए:
२६. आमोस (८:११; ९:२, ३; ९:११, १२) की समझ ने प्रथम शताब्दी के शासी निकाय को यह समझने में मदद दी कि यह परमेश्वर की इच्छा थी कि ग़ैर-इस्राएली मसीही कलीसिया में इकट्ठे किए जाएँ। (प्रेरि. १५:१३-१९) [si पृ. १५० अनु. १६]
२७. जब (आमोस; योएल; हबक्कूक) को यहोवा ने बुलाया, तो वह न तो कोई भविष्यवक्ता था ना ही किसी भविष्यवक्ता का बेटा बल्कि वह भेड़ का पालनेवाला और गूलर पेड़ों के (खजूर; गूलर; जैतून) तोड़नेवाला व्यक्ति था। [si पृ. १४८ अनु. १]
२८. पवित्र आत्मा की सही पहचान को (धार्मिक धारणाओं; मसीहीजगत की परम्पराओं; समस्त शास्त्र) के अनुसार होना चाहिए जो आत्मा का ज़िक्र करते हैं, और यह तर्कसंगत निष्कर्ष की ओर ले जाता है कि पवित्र आत्मा (एक व्यक्ति, त्रियेक का एक भाग; परमेश्वर की सक्रिय शक्ति) है। [rs पृ. ३८१ अनु. १]
२९. योएल २:३२ (पतरस; यूहन्ना; पौलुस) द्वारा (प्रेरितों २:४०; रोमियों १०:१३; १ तीमुथियुस २:४) में उद्धृत किया गया था, जहाँ उसने यहोवा का नाम लेने के महत्त्व पर ज़ोर दिया। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९६ ४/१ पृ. २० अनु. १६ देखिए।]
३०. हम परमेश्वर की आत्मा होने का सबूत (धार्मिक जोश के प्रस्फोटन; थरथराने और यहाँ-वहाँ लुढ़कने; उत्साहपूर्वक साक्ष्य देने) के द्वारा और आत्मा के (पाँच; सात; नौ) फलों को प्रदर्शित करने के द्वारा देते हैं। [rs पृ. ३८१ अनु. ५-पृ. ३८२ अनु. १]
निम्नलिखित शास्त्रवचनों का नीचे सूचीबद्ध कथनों के साथ सुमेल कीजिए: व्यव. १८:१०-१२; होशे १०:१२; सप. २:३; याकू. १:२६, २७; १ यूह. ३:४, ८
३१. हमारी उपासना को परमेश्वर को स्वीकार्य होने के लिए, इसे न केवल सांसारिक अभ्यासों से संदूषित नहीं होना चाहिए बल्कि उन सभी चीज़ों को भी शामिल करना चाहिए जिन्हें परमेश्वर अनिवार्य समझता है। [kl पृ. ५१ अनु. २०]
३२. अपने दैनिक जीवन में जो सही है उसे करने के द्वारा, हम यहोवा की करुणा काटेंगे। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९६ ३/१५ पृ. २३ अनु. २-३ देखिए।]
३३. शकुन-विद्या के सभी तरीक़े अशुद्ध आत्माओं के साथ संपर्क या उनसे ग्रस्त होने का बुलावा है, और ऐसे कार्यों में लगने का अर्थ होगा यहोवा के प्रति गम्भीर निष्ठाहीनता। [rs पृ. ३८७ अनु. ४]
३४. जो लोग जानबूझकर पाप का मार्ग चुनते हैं, उसकी आदत डालते हैं, उन्हें यहोवा अपराधी समझता है। [rs पृ. ३७४ अनु. २]
३५. हम यहोवा की दया का अनुचित लाभ नहीं उठा सकते। [si पृ. १६५ अनु. ११]