वक्त नाज़ुक है, जल्द-से-जल्द प्रचार कीजिए
अगर आपको कोई ऐसा काम दिया जाए जो बहुत ही ज़रूरी और महत्त्वपूर्ण हो, तो आप उसे कैसे करेंगे? आराम से करेंगे या फौरन? प्रेरित पौलुस ने कहा कि हम मसीहियों को ‘वचन का प्रचार करने के लिए समय और असमय तैयार रहना’ चाहिए। (2 तीमु. 4:2) हम जानते हैं कि जल्द-से-जल्द प्रचार करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण और ज़रूरी है, तो क्या हम इसे करने में सुस्ती दिखाएँगे?
2 शायद पौलुस को यह खबर मिली थी कि कुछ भाई-बहन मसीही होने की अपनी ज़िम्मेदारी को ठीक से नहीं निभा रहे थे बल्कि “आलसी” हो गए थे। (रोमि. 12:11) इसलिए प्रचार के काम में उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली, न ही उन्हें वह खुशी मिली जो दूसरों की मदद करने से मिलती है।
3 प्रचार के बारे में यीशु का नज़रिया: परमेश्वर के बारे में लोगों को बताना यीशु को कितना अच्छा लगता था! उसने कहा: “मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजनेवाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं।” यीशु ने जिस जोश से प्रचार किया, उसे देखकर उसके चेले भी जोश के साथ प्रचार करने लगे। यीशु ने उनको उकसाते हुए कहा कि ‘खेत कटनी के लिये पक चुके हैं।’ (यूह. 4:34, 35) यीशु वक्त की नज़ाकत को समझता था। इसलिए उसने कभी-भी अपना वक्त बरबाद नहीं किया और यही वज़ह है कि उसने अपने शिष्यों से कहा कि वे ‘खेत के स्वामी से बिनती करें कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे।’ (मत्ती 9:38) यीशु ने प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह पूरा किया। उसने अपनी यह ज़िम्मेदारी पूरी करने में किसी भी बात को आड़े नहीं आने दिया।
4 आज हमारे बारे में क्या? आज हमें ज़्यादा-से-ज़्यादा प्रचार करने की ज़रूरत है क्योंकि अब वक्त बहुत ही थोड़ा रह गया है। दुनिया में कई देशों में लोगों की कटनी के लिए खेत पक चुके हैं और प्रचार करने की ज़रूरत है। और ऐसे देशों में जहाँ यह लगा कि अच्छी तरह गवाही दी जा चुकी है और प्रचार काम पूरा किया जा चुका है, आज वहाँ भी हर साल हज़ारों लोग बपतिस्मा ले रहे हैं। अब इस बुरी दुनिया का अंत होने में ज़्यादा वक्त नहीं रह गया है, इसलिए “प्रभु” की सेवा में आज हमारे पास बहुत सारा काम है। (1 कुरि. 15:58) लोगों को परमेश्वर के राज्य का संदेश सुनाने में हमें पहले से ज़्यादा कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है।
5 आइए हम घर-घर जाने और जहाँ-कहीं भी लोग मिलें उन तक सुसमाचार पहुँचाने के काम में पूरी तरह लग जाएँ। अगर हम प्रचार काम में अपना भरसक करेंगे तो हम यह साफ ज़ाहिर कर रहे होंगे कि हम अपनी ज़िंदगी में यहोवा के राज्य को पहला स्थान दे रहे हैं। (मत्ती 6:33) वक्त की नज़ाकत को ध्यान में रखकर अगर हम अपना फर्ज़ पूरा करें तो हमें अपनी मेहनत का फल ज़रूर मिलेगा।