क्या आप और ज़्यादा मेहनत करना चाहते हैं?
यीशु ने राज्य की तुलना एक अनमोल खज़ाने से की। (मत्ती 13:44-46) राज्य का सुसमाचार फैलाने का काम भी एक अनमोल खज़ाने की तरह है। यह सेवकाई हमारी ज़िंदगी में पहले स्थान पर आनी चाहिए, फिर चाहे इसमें पूरी तरह हिस्सा लेने के लिए हमें अपनी कुछ इच्छाओं का त्याग भी क्यों न करना पड़े। (मत्ती 6:19-21) क्या आप राज्य के काम में और ज़्यादा मेहनत करना चाहते हैं?
2 इन ज़रूरी बातों पर गौर कीजिए: निजी तौर पर अपनी सेवकाई को बढ़ाने के लिए कई बातें ज़रूरी हैं: (1) जीवन में राज्य से जुड़े कामों को पहला स्थान देने की ठान लेना। (मत्ती 6:33); (2) यहोवा पर विश्वास और उस पर निर्भर करना। (2 कुरि. 4:1, 7); (3) परमेश्वर से मदद माँगने के लिए सच्चे दिल से, लगातार प्रार्थना करना। (लूका 11:8-10); (4) अपनी प्रार्थनाओं के मुताबिक काम करना।—याकू. 2:14, 17.
3 अपनी सेवकाई को बढ़ाने के तरीके: हम सभी हर महीने प्रचार में लगातार हिस्सा लेने के लक्ष्य से शुरू कर सकते हैं। लेकिन क्या आपने हर मौके पर साक्षी देने के बारे में सोचा है? क्या आपने प्रचार में अपनी प्रस्तावना को बेहतर बनाने, और भी असरदार तरीके से पुनःभेंट करने और अच्छे बाइबल अध्ययन चलाने की कोशिश की है? क्या आप ऑक्ज़लरी या रेग्यूलर पायनियर सेवा कर सकते हैं? या जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ जाकर सेवा कर सकते हैं? अगर आप बपतिस्मा पाए हुए भाई हैं तो क्या आप सहायक सेवक या एक प्राचीन बनने की काबिलीयत बढ़ा सकते हैं? (1 तीमु. 3:1, 10) क्या आपने मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल के लिए अर्ज़ी भरने की सोची है ताकि आप अपनी सेवकाई को बढ़ा सकें?—लूका 10:2.
4 एक भाई की पूरे समय की नौकरी थी और वह खेल-कूद में भी बहुत समय बिताता था। उसे रेग्यूलर पायनियर बनने का बढ़ावा दिया गया। उसने पहले ऑक्ज़लरी पायनियर सेवा शुरू की और बाद में अपने हालात में फेरबदल करके उसने पूरे समय की सेवा शुरू कर दी। बाद में, वह मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल में हाज़िर हुआ जिसमें उसने अच्छी तालीम पाई और इसलिए आज वह सर्किट ओवरसियर के तौर पर सेवा कर रहा है। वह बहुत खुश है कि उसे जो बढ़ावा मिला था, उसने उसके मुताबिक काम किया और उसे पक्का यकीन है कि उसने राज्य की सेवा में और ज़्यादा मेहनत करने का जो फैसला किया था, उसी की बदौलत आज वह पहले से कहीं ज़्यादा खुश है।
5 जो लोग अपने आप को यहोवा के काम के लिए सौंप देते हैं, वह उन्हें आशीष देता है। (यशा. 6:8) इसलिए अपनी सेवकाई को बढ़ाने और उससे मिलनेवाली ढेर सारी खुशी और ताज़गी का आनंद उठाने से कोई भी बात आपको रोकने न पाए।