ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार में जनवरी 7 से अप्रैल 22, 2002 तक के हफ्तों से जानकारी ली गई है। दिए गए समय में ज़्यादा-से-ज़्यादा सवालों के जवाब एक अलग कागज़ पर लिखने की कोशिश कीजिए।
[सूचना: सवालों का जवाब देने के लिए आप सिर्फ बाइबल इस्तेमाल कर सकते हैं। सवालों के बाद दिए गए हवाले व्यक्तिगत रूप से खोज करने में आपकी मदद करने के लिए हैं। प्रहरीदुर्ग से जवाब ढूँढ़ने के लिए हर जगह शायद पेज और पैराग्राफ नंबर न दिए हों।]
नीचे दिए गए वाक्यों का सही या गलत में जवाब दीजिए:
1. सभोपदेशक 2:2 में, सुलैमान कहता है कि हँसने और आनंद मनाने से दूर रहना चाहिए। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 12/1 पेज 28 पैरा. 5 देखिए।]
2. पूरी बाइबल में एक सुसंगत मूल-विषय यह है कि मानवजाति पर शासन करने के परमेश्वर के अधिकार का दोषनिवारण और उसके राज्य के माध्यम से उसके प्रेममय उद्देश्य की पूर्ति। [kl-HI पेज 14 पैरा. 7]
3. यशायाह 1:7 में, भविष्यवक्ता बता रहा है कि आहाज के राज में यहूदा कैसे उजड़ जाएगा। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 17 पैरा. 16 देखिए।]
4. यहोवा हाबिल की भेंट से इसलिए प्रसन्न हुआ क्योंकि उसकी भेंट कैन की भेंट से अच्छी थी। (उत्प. 4:4) [my-HI अध्याय 6]
5. अगर हम दिल खोलकर अपनी संपत्ति—अपने वक्त, हुनर, ताकत और धन-दौलत से “यहोवा का आदर” करें (NHT) तो हम आशीषों का खज़ाना पाएँगे। (नीति. 3:9, 10) [w-HI00 1/15 पेज 25 पैरा. 1]
6. यशायाह 28:21 (NHT) में बताया गया ‘अनोखा काम और अद्भुत कार्य,’ आज के ज़माने में हरमगिदोन में राष्ट्रों के विनाश की ओर इशारा करता है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 295 पैरा. 16; पेज 301 पैरा. 28 देखिए।]
7. जैसे मत्ती 24:38, 39 में बताया गया है, नूह के दिनों में लोग खाने-पीने और दूसरे कामों में मस्त थे, और इसी वजह से जलप्रलय उन सबको बहा ले गया। [w-HI00 2/15 पेज 6 पैरा. 6]
8. यहोवा हमेशा अपने उन नम्र सेवकों की प्रार्थनाओं का जवाब देता है जो बिना किसी स्वार्थ के उसकी उपासना करते हैं। [w-HI00 3/1 पेज 4 पैरा. 3]
9. यशायाह 60:3 की “अन्यजातियां” अलग-अलग राजनीतिक देश हैं, जो परमेश्वर से मिलनेवाले उजियाले की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI00 1/1 पेज 12 पैरा. 4 देखिए।]
10. यहोवा ने यिर्मयाह के जन्म से पहले ही उसका “अभिषेक” किया यानी उसने यिर्मयाह का भाग्य तय कर दिया। (यिर्म. 1:5) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI88 5/1 पेज 21 पैरा. 2 देखिए।]
नीचे दिए गए सवालों के जवाब दीजिए:
11. सभोपदेशक 11:1 में, ‘रोटी डालने’ का क्या अर्थ है? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 12/1 पेज 30 पैरा. 7 देखिए।]
12. यशायाह 6:8 में, यहोवा “हमारी” कहते वक्त अपने साथ किसे शामिल करता है? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 93-4 पैरा. 13 देखिए।]
13. यशायाह 9:2 की पूर्ति में, गलील में “बड़ी ज्योति” कैसे चमकी? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 126 पैरा. 17 देखिए।]
14. जैसे सा.यु.पू. 539 में बाबुल गिरा और आखिरकार पूरी तरह उजड़ गया, आज हमारे ज़माने में किसका ऐसा ही हश्र होनेवाला है? (यशा. 13:19, 20; 14:22, 23) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 188 पैरा. 30-1 देखिए।]
15. “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने कैसे यशायाह 21:6 में बताए ‘पहरुए’ की तरह काम किया है? (मत्ती 24:45) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 221-3 पैरा. 11 देखिए।]
16. पत्नी की तलाश करनेवाले एक नौजवान के लिए नीतिवचन 31:10 में कौन-सी बुद्धि-भरी सलाह दी गयी है? [w-HI00 2/1 पेज 31 पैरा. 1]
17. यशायाह 43:9 में, अन्यजातियों के देवताओं को कैसे ललकारा गया है? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI88 9/1 पेज 17 पैरा. 3]
18. किस प्रकार परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनानेवालों के पाँव “सुहावने” हैं? (यशा. 52:7) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI97 4/15 पेज 27 पैरा. 6 देखिए।]
19. हमारा मन हमें धोखा न दे, इसके लिए हमें क्या करना ज़रूरी है? (यिर्म. 17:9) [w-HI00 3/1 पेज 30 पैरा. 4]
20. ‘यहोवा के मार्ग पर चलनेवालों’ से क्या-क्या माँग की जाती है? (यिर्म. 7:23) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI99 8/15 पेज 29 पैरा. 6 देखिए।]
नीचे दिए गए वाक्यों को पूरा करने के लिए ज़रूरी शब्द या वाक्यांश लिखिए:
21. बुद्धिमान व्यक्ति का हृदय “उसके दाहिने ओर” इस अर्थ में होता है कि “दाहिना हाथ” अक्सर ___________________ का प्रतीक है; और संकेत करता है कि उसका ___________________ उसे एक अच्छे, लाभकर मार्ग पर लगे रहने को अभिप्रेरित करता है। (सभो. 10:2; मत्ती 25:33) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 12/1 पेज 30 पैरा. 4 देखिए।]
22. जब हम शास्त्र को ___________________ हैं और उसकी सलाह पर ___________________ करते हैं, तब हम उस ___________________ से काम कर रहे हैं जो मनुष्य अपने आप नहीं पा सकते। [kl-HI पेज 21 पैरा. 20]
23. यशायाह 33:1 में, यहूदा के नगरों का नाश करनेवाला ___________________ है, जिसे खुद सा.यु.पू. 632 में हार का सामना करना होगा और उसकी लूट का सारा माल, ___________________ के निवासियों को मिल जाएगा जो इसे ‘टिड्डियों की तरह चट कर जाएँगे।’ (यशा. 33:4) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 343 पैरा. 4; पेज 345 पैरा. 6 देखिए।]
24. यशायाह 54:1 की तुलना गलतियों 4:26, 27 से करने पर पता लगता है कि “बांझ,” ___________________ है; और “सुहागिन,” ___________________ है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI95 8/1 पेज 11 पैरा. 8 देखिए।]
25. प्रचार करते वक्त शायद लोग हमारा मज़ाक उड़ाएँ या अपमान करें। मगर हम एक बात हमेशा अपने मन में रखेंगे कि लोग, ___________________ विरोध नहीं करते बल्कि ___________________ का करते हैं जिसकी तरफ से हम संदेश सुनाते हैं। (2 कुरि. 4:1, 7) [w-HI00 1/15 पेज 21 पैरा. 2]
नीचे दिए गए वाक्यों के सही जवाब चुनिए:
26. यीशु की स्वर्गीय महिमा के दर्शन के बारे में लिखते वक्त, पौलुस ने खुद के बारे में कहा कि वह मानो “अधूरे दिनों का जन्मा” है, जिसका मतलब है कि (वह अभी-अभी आत्मा से अभिषिक्त किया गया, उसे बहुत जल्द अन्यजातियों के लिए प्रेरित ठहराया गया; उसे मानो समय से पहले ही आत्मिक रूप में पुनरुत्थित होने का सम्मान मिल गया हो)। (1 कुरि. 9:1; 15:8) [w-HI00 1/15 पेज 29 पैरा. 6]
27. ‘अनन्तकाल का पिता’ यह उपाधि, मसीहाई राजा की ताकत और उसके इस अधिकार को दिखाती है कि वह इंसानों को (आध्यात्मिक ताकत; स्वर्ग में अमर जीवन; पृथ्वी पर अनन्त जीवन) दे। (यशा. 9:6; यूह. 11:25, 26) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 131 पैरा. 26 देखिए।]
28. यशायाह 66:7 की भविष्यवाणी जब आज के ज़माने में पूरी हुई, तो जिस ‘बेटे’ का जन्म हुआ वह (यीशु मसीह था; मसीहाई राज्य था; 1919 में पृथ्वी पर नयी आध्यात्मिक जाति थी)। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI95 1/1 पेज 11 पैरा. 3 देखिए।]
29. यीशु ने पतरस से कहकर कि “मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियां दूंगा,” यह प्रकट किया कि पतरस (प्रेरितों में पहले स्थान पर है; खास अनुग्रहों को पानेवाला है; कलीसिया की बुनियाद है)। (मत्ती 16:19) [gt-HI अध्याय 59]
30. यिर्मयाह 7:28 में, ‘जाति जो परमेश्वर यहोवा की नहीं सुनती’ आज (बड़े बाबुल; ईसाईजगत; सातवीं विश्वशक्ति) की ओर इशारा करती है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI88 5/1 पेज 29 पैरा. 10 देखिए।]
नीचे दिए गए वचनों का वाक्यों के साथ मेल कीजिए:
नीति. 24:16; सभो. 3:11; यशा. 40:8; मत्ती 3:16, 17; यूह. 6:14, 15
31. परमेश्वर का हर कार्य उसके उद्देश्य में किस उचित स्थान में ठीक बैठता है, यह अपने समय में प्रकट किया जाएगा। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 12/1 पेज 28 पैरा. 8 देखिए।]
32. जब यीशु चमत्कारिक तरीके से हज़ारों को खिलाता है, तो लोग यह निष्कर्ष निकालते हैं कि यीशु मूसा से बड़ा भविष्यवक्ता है और वह एक अत्यन्त चाहने योग्य शासक हो सकता है। [gt-HI अध्याय 53]
33. अकसर हमें ज़िंदगी में नाकामी का मुँह देखना पड़ता है, मगर एक धर्मी इंसान भले काम करने में हार नहीं मानता। [w-HI00 2/1 पेज 5 पैरा. 1]
34. परमेश्वर के वचन या उसका ज़ाहिर किया गया मकसद सदा तक कायम रहेगा। ऐसा कुछ नहीं है जो उसके वचनों को खारिज कर सके या उन्हें पूरा होने से रोक सके। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; ip-1-HI पेज 401-2 पैरा. 10 देखिए।]
35. यहोवा ने स्वयं स्वर्ग से बोलकर यीशु पर अपना अनुमोदन व्यक्त किया। [kl-HI पेज 38 पैरा. 10]