राज्य के प्रचार से लोगों की जान बच सकती है!
हमारे ज़माने में यह दुनिया का सबसे ज़रूरी काम है। यहोवा परमेश्वर, यीशु मसीह और करोड़ों स्वर्गदूतों का ध्यान इसी पर है। आखिर यह कौन-सा काम है और इतना ज़रूरी क्यों है? यह है, राज्य प्रचार का काम जिससे लोगों की जान बच सकती है!—रोमि. 1:16; 10:13, 14.
2 कुछ लोगों का मानना है कि अगर हम दुनिया की हालत सुधारने की कोशिश करें तो उससे लोगों को काफी मदद मिल सकती है। बहुत-से लोग, दुनिया में शांति लाने, बीमारियों का इलाज करने, या आर्थिक मामलों की चिंताएँ दूर करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। लेकिन किस काम से लोगों को सबसे ज़्यादा मदद मिल सकती है?
3 सबसे ज़रूरी काम: सिर्फ राज्य का संदेश ही ज़िंदगी के मकसद, इंसान के दुःखों की वजह और भविष्य की सच्ची आशा के बारे में बताता है। सिर्फ सुसमाचार ही लोगों को यहोवा का दोस्त बनने में मदद देता है, इसलिए उन्हें “परमेश्वर की शान्ति” मिलती है “जो समझ से बिलकुल परे है”। (फिलि. 4:7) सिर्फ राज्य का संदेश ही लोगों को सही मार्गदर्शन देता है जिससे वे आज जीवन की समस्याओं का सामना कर सकें और यही समझाता है कि भविष्य में इस दुष्ट संसार पर आनेवाले विनाश से बचने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए। (1 यूह. 2:17) इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए क्या हमें राज्य का प्रचार करने में पूरी मेहनत नहीं करनी चाहिए?
4 उदाहरण के लिए: मान लीजिए कि एक गाँव है जो बाँध के किनारे बसा है और वह बाँध अब टूटने ही वाला है। गाँव के लोग सोए हुए हैं। अब उनकी मदद करने का सबसे बेहतरीन तरीका क्या होगा? नाव में सवार होकर कमज़ोर, टूटते बाँध के पीछे से पानी को बाल्टी से बाहर निकालते जाना? या डूबते गाँव को सुंदर बनाना? नहीं! सबसे सही काम होगा, गाँववालों को जगाना, उन पर टूटनेवाली इस विपत्ति के बारे में चेतावनी देना और उन्हें बचकर भागने में मदद करना! उसी तरह आज जो आध्यात्मिक तौर पर सो रहे हैं, वे भंयकर खतरे में हैं। (लूका 21:34-36) बहुत जल्द यह संसार नाश होनेवाला है, इसलिए आइए वक्त की नज़ाकत को समझते हुए, हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को प्रचार करने की कोशिश करें!—2 तीमु. 4:2; 2 पत. 3:11, 12.
5 इस काम में लगे रहिए: आइए, हम ज़्यादा-से-ज़्यादा नेकदिल लोगों को सुसमाचार सुनाने के और भी तरीके ढूँढ़ें। हम घरों में जाकर, सड़कों पर, टेलिफोन से और मिलनेवाले हर मौके पर गवाही दें। यह काम जो यहोवा ने हमें दिया है, वह हमारी ज़िंदगी का सबसे ज़रूरी काम है। अगर हम जोश के साथ इस काम को करेंगे, तो ‘अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होंगे।’—1 तीमु. 4:16.