“निरर्थक बातों” के पीछे मत भागिए
ई-मेल, आज संचार का एक आम साधन बन गया है। इसके ज़रिए अपने अनुभव और विचार, दोस्तों-रिश्तेदारों तक पहुँचाना गलत नहीं, मगर ई-मेल का हद-से-ज़्यादा इस्तेमाल करने से हम “निरर्थक बातों” में उलझ सकते हैं। ये ‘निरर्थक बातें’ क्या हैं?—नीति. 12:11, NHT.
2 ई-मेल के संबंध में कुछ चेतावनियाँ: कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें ई-मेल के ज़रिए यहोवा के संगठन के बारे में ताज़ा जानकारी मिलती है और इस वजह से वे खुद को संगठन के बहुत करीब महसूस करते हैं। उनको मिलनेवाली जानकारी में शायद कुछ अनुभव, बेथेल में होनेवाली घटनाओं की खबरें, जगह-जगह होनेवाली विपत्तियों या साक्षियों पर किए जानेवाले अत्याचार की खबरें, यहाँ तक कि किंगडम मिनिस्ट्री स्कूलों में बतायी जानेवाली गोपनीय बातें भी हो सकती हैं। ऐसी जानकारी कुछ लोग दूसरों तक पहुँचाने के लिए बहुत उतावले होते हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि अपने दोस्तों तक इनकी खबर पहुँचाने में वे ही सबसे पहले हों।
3 कुछ जानकारी और अनुभवों को तोड़-मरोड़कर या उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। और कुछ लोगों ने शायद किसी खबर को सनसनीखेज़ बनाने की कोशिश की है जिसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे उस खबर का गलत मतलब निकाल बैठे। जो उतावले होते हैं, वे ही अकसर ऐसी खबरें दूसरों को देते हैं, जबकि उनके पास खबरों के सच होने के सारे सबूत नहीं होते। (नीति. 29:20) जो बातें यकीन के लायक नहीं होतीं, उन्हें भी अकसर चटपटी खबरों के तौर पर फैलाया जाता है। ऐसी गलत या गुमराह करनेवाली खबरें, “कथा-कहानियों” के बराबर हैं जो परमेश्वर की सच्ची भक्ति करने का बढ़ावा नहीं देतीं।—1 तीमु. 4:6, 7, NHT.
4 अगर आप दूसरों को ऐसी जानकारी देते हैं, जो बाद में गलत साबित होती है, तो उस खबर की वजह से दूसरों को पहुँचनेवाले दुःख या उलझन के लिए आप भी कुछ हद तक ज़िम्मेदार ठहरेंगे। जब राजा दाऊद को बढ़ा-चढ़ाकर यह खबर दी गयी कि उसके सभी बेटे मारे गए, तो उसे इतना गहरा सदमा पहुँचा कि उसने “अपने वस्त्र फाड़े।” लेकिन सच तो यह था कि उसका सिर्फ एक ही बेटा मारा गया था। उसके एक बेटे के मरने की खबर उसके लिए कुछ कम दुःख की बात नहीं होती, मगर उस खबर को बढ़ा-चढ़ाकर बताने की वजह से दाऊद को बेवजह और भी गहरा सदमा पहुँचा। (2 शमू. 13:30-33) बेशक, हम ऐसा कोई काम नहीं करना चाहेंगे जिनसे हमारे किसी भाई को गलत खबर मिले या उसका दिल टूट जाए।
5 परमेश्वर का ठहराया हुआ इंतज़ाम: यह बात याद रखिए कि हमारे स्वर्गीय पिता ने हम तक ज़रूरी जानकारी पहुँचाने के लिए “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ठहराया है। इस “दास” पर यह फैसला करने की ज़िम्मेदारी है कि विश्वास के घराने को कैसी जानकारी देनी चाहिए और ऐसा करने का सही “समय” क्या है। यह जानकारी या आध्यात्मिक भोजन सिर्फ परमेश्वर के संगठन के ज़रिए ही उपलब्ध होता है। इसलिए हमें भरोसेमंद जानकारी के लिए, हमेशा परमेश्वर के ठहराए इंतज़ाम की ओर ताकना चाहिए, न कि उन लोगों की ओर जो इंटरनॆट का इस्तेमाल करते हैं।—मत्ती 24:45.
6 इंटरनॆट के वॆब साइट्स: इंटरनॆट पर संस्था का अपना एक वॆब साइट है। उसका पता है, www.watchtower.org. यहोवा के साक्षियों के बारे में जनता तक ज़रूरी जानकारी पहुँचाने के लिए यह साइट काफी है। इसलिए किसी व्यक्ति, कमेटी या कलीसिया को अलग से एक वॆब पेज तैयार करने की ज़रूरत नहीं है। कुछ लोगों ने हमारे साहित्य में दी गयी जानकारी वॆब साइट पर पेश की है और उनमें सभी आयतें और हवाले भी दिए। यहाँ तक कि उन्होंने अधिवेशन के कार्यक्रम की जानकारी पेश करके उसके लिए दान की भी गुज़ारिश की है। लेकिन यहोवा के साक्षियों के साहित्य को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दोबारा तैयार करना और बाँटना, कॉपीराइट नियमों का उल्लंघन करना है, फिर चाहे यह मुनाफे के लिए किया जाता हो या नहीं। कुछ लोग शायद सोचें कि भाइयों को इस तरह जानकारी भेजकर वे उनकी सेवा कर रहे हैं, लेकिन ऐसा करना सही नहीं है और इस चलन को बंद किया जाना चाहिए।
7 ई-मेल से जानकारी देते वक्त हमें बहुत सोच-समझकर और दुरुस्त मन से काम लेना चाहिए। तब हम अपने मन को “बहुमूल्य और मनभाऊ वस्तुओं” से भर सकते हैं।—नीति. 24:4.