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हमारी राज-सेवा—2003
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घोषणाएँ

◼ जनवरी के लिए साहित्य पेशकश: वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा। इसके बदले आप ये किताबें भी दे सकते हैं, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं, बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक, बाइबल—परमेश्‍वर का वचन या इंसानों का? (अँग्रेज़ी), या युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर। अगर आपकी कलीसिया में ये किताबें नहीं हैं, तो कृपया आस-पास की कलीसियाओं से पता करके जिनके पास ज़्यादा किताबें हैं, उनसे लें। फरवरी: रॆवलेशन—इट्‌स ग्रैंड क्लाइमैक्स एट हैंड! या नीचे बताया गया कोई भी 32-पेज का ब्रोशर दिया जा सकता है: अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये!, क्या आपको त्रियेक में विश्‍वास करना चाहिए?, क्या परमेश्‍वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?, जब आपका कोई अपना मर जाए, जीवन का उद्देश्‍य क्या है?—आप इसे कैसे पा सकते हैं?, “देख! मैं सब कुछ नया कर देता हूँ,” परमेश्‍वर का नाम जो सदा तक बना रहेगा (अँग्रेज़ी), मरने पर हमारा क्या होता है? (अँग्रेज़ी), और वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा। जहाँ मुनासिब हो, वहाँ ये ब्रोशर दिए जा सकते हैं: क्या कभी युद्ध के बिना एक संसार होगा? (अँग्रेज़ी), मृत जनों की आत्माएँ—क्या वे आपकी मदद कर सकती हैं या नुकसान पहुँचा सकती हैं? क्या वे सचमुच अस्तित्त्व में हैं? (अँग्रेज़ी), सब लोगों के लिए एक किताब और हमारी समस्याएँ—उन्हें हल करने में कौन हमारी मदद करेगा? मार्च: ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है। बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए खास कोशिश की जाएगी। अप्रैल और मई: प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पेश करनी है। अगर वापसी भेंट करने पर कोई दिलचस्पी दिखाए, तो उसके साथ मैगज़ीन रूट शुरू कीजिए। बाइबल अध्ययन शुरू करने के मकसद से माँग ब्रोशर पेश कीजिए।

◼ सर्किट ओवरसियरों को फरवरी महीने से, या देर-से-देर मार्च 2 से नया जन-भाषण देना शुरू करना चाहिए जिसका शीर्षक है, “अंधकार भरे संसार से छुटकारा।”

◼ इस साल अप्रैल 16, बुधवार के दिन सूर्यास्त के बाद स्मारक मनाने के लिए कलीसियाओं को अच्छा प्रबंध करना चाहिए। हालाँकि भाषण सूर्यास्त से पहले दिया जा सकता है, मगर प्रतीकों का देना सूर्यास्त के बाद ही शुरू होना चाहिए। आपके क्षेत्र में सूर्यास्त कब होता है, इस बारे में अखबार से या किसी और तरीके से पता कीजिए। जहाँ बहुत-सी कलीसियाएँ एक ही किंगडम हॉल का इस्तेमाल करती हैं, ऐसे में किसी एक या उससे ज़्यादा कलीसियाओं को उस शाम के लिए किसी और जगह का इंतज़ाम करना होगा। हमारा सुझाव है कि अगर मुमकिन हो तो एक कलीसिया का स्मारक समारोह खत्म होने के कम-से-कम 40 मिनट बाद ही दूसरी कलीसिया अपना कार्यक्रम शुरू करे। इस तरह सभी इस मौके का पूरा-पूरा फायदा उठा सकेंगे। लोगों को लाने और ले जाने के बारे में, साथ ही ट्रैफिक और पार्किंग की समस्याओं के बारे में भी ध्यान दिया जाना चाहिए। हर कलीसिया के लिए कैसा प्रबंध करना सबसे अच्छा होगा, इसका फैसला प्राचीनों का निकाय करेगा।

◼ हमें आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि अब से “ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल” को “परमेश्‍वर की सेवा स्कूल” कहा जाएगा। और हमारे हिंदी प्रकाशनों में “सेवकाई” की जगह “सेवा” और “पुनःभेंट” के बदले “वापसी भेंट” इस्तेमाल किया जाएगा।

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