परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
फरवरी 24, 2003 से शुरू होनेवाले सप्ताह में परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों की ज़बानी चर्चा होगी। स्कूल ओवरसियर, 30 मिनट के लिए जनवरी 6 से फरवरी 24, 2003 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर दोबारा चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: अगर किसी सवाल के बाद कोई हवाले नहीं दिए गए हैं, तो वहाँ जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी होगी।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. सही या गलत: सही-सही पढ़ने के लिए खासकर यह ध्यान में रखना चाहिए कि हम जो पढ़ते हैं वह सुनने में सही लगे, फिर चाहे वह पेज पर लिखे शब्दों से ज़रा हटकर ही क्यों न हो। समझाइए। [be-HI पेज 83]
2. खाली जगहों को भरिए: सही-सही पढ़ने के लिए ज़रूरी है कि आप _________________________ , _________________________ , _________________________ और ऊँची आवाज़ में करें। [be-HI पेज 85]
3. साफ-साफ बोलने की क्या अहमियत है? (1 कुरि. 14:8, 9) [be-HI पेज 86]
4. बोली के साफ न होने की कुछ वजह क्या हो सकती हैं और हम साफ-साफ बोलने के लिए क्या कर सकते हैं? [be-HI पेज 87-8]
5. पिछले दो महीनों के दौरान, परमेश्वर की सेवा स्कूल में इस्तेमाल किए गए ऐसे चंद शब्द बताइए जिनका सही उच्चारण करने के लिए आपको अभ्यास करने की ज़रूरत महसूस हो रही है? [be-HI पेज 92]
भाग नं. 1
6. सही या गलत: हमारी आँखें, सुनने में हमारी मदद कर सकती हैं। समझाइए। [be-HI पेज 14]
7. खाली जगहों को भरिए: परमेश्वर ने _________________________ , _________________________ , और _________________________ को समय बतानेवाले यंत्रों के तौर पर दिया है। [si पेज 279 पैरा. 7]
8. खाली जगहों को भरिए: बाइबल में, “दिन” शब्द का मतलब _________________________ घंटे, _________________________ घंटे, _________________________ साल या _________________________ हो सकता है, आस-पास की आयतों से पता लगता है कि एक आयत में दिन का क्या मतलब है। [si पेज 279 पैरा. 8]
9. हन्ना, मरकुस और एलिय्याह की मिसालें, हताशा से जूझने में कैसे हमारी मदद कर सकती हैं? उनके बारे में हम दूसरों को बताकर कैसे उनकी मदद कर सकते हैं? [w01-HI 2/1 पेज 20-3]
10. पुराने ज़माने के खेलों के बारे में जानकारी रखने से, बाइबल की कुछेक आयतों का मतलब कैसे अच्छी तरह समझ आता है? इस जानकारी का हमारी ज़िंदगी पर क्या असर होना चाहिए? [w01-HI 1/1 पेज 28-31]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. सही या गलत: परमेश्वर का राज्य सन् 1914 में स्वर्ग में स्थापित हो चुका है, इसलिए अब यह प्रार्थना करने की ज़रूरत नहीं है: “तेरा राज्य आए।” (मत्ती 6:10) समझाइए। [be-HI पेज 279; w96-HI 6/1 पेज 31]
12. सही या गलत: मत्ती 11:24 में यीशु ने जो कहा, उसका मतलब यह है कि सदोम और अमोरा के जिन लोगों को यहोवा ने आग से नाश किया, उनका पुनरुत्थान किया जाएगा। समझाइए।
13. जवाब चुनिए: यीशु ने मत्ती 24:45-47 में जिस विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास का ज़िक्र किया, वह है (क) यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय; (ख) किसी भी समय के दौरान धरती पर रहनेवाले सभी अभिषिक्त मसीहियों का समूह; (ग) खुद यीशु मसीह। यह दास जिन “नौकर चाकरों” को सही वक्त पर आध्यात्मिक भोजन देता है, वे हैं, (क) अलग-अलग व्यक्तियों के तौर पर अभिषिक्त जन; (ख) अन्य भेड़; (ग) मसीही साहित्य पढ़नेवाले सभी लोग। स्वामी ने (क) 1914; (ख) सा.यु. 33; (ग) 1919 में उस दास को अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराया।
14. जवाब चुनिए: मत्ती 13:47-50 में यीशु ने दृष्टांत में जिस बड़े जाल की बात की, उसमें अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया और (क) परमेश्वर का मसीहाई राज्य; (ख) उनके साथी, अन्य भेड़; (ग) ईसाईजगत दोनों शामिल हैं।
15. अगर आपको लगता है कि आपने किसी मसीही भाई या बहन को ठेस पहुँचायी है, तो मत्ती 5:24 में दी यीशु की सलाह के मुताबिक आपको क्या करना चाहिए? [w96-HI 7/15 पेज 18]