अविश्वासी पति-पत्नियों की हम कैसे मदद कर सकते हैं?
यहोवा के सेवकों में ऐसे कई लोग हैं जिनके जीवन-साथी सच्चाई में नहीं हैं। वे भाइयों के संग दोस्ताना तरीके से पेश आते हैं, और कलीसिया के कामों में भी दिलचस्पी लेते हैं, मगर परमेश्वर के सेवक बनने से पीछे हटते हैं। ऐसे ही एक पति ने कबूल किया: “प्रचार के लिए घर-घर जाने की बात मेरे लिए एक बड़ी रुकावट थी।” इसके अलावा, दूसरों को अब भी कुछ ऐसी आदतें छोड़ने की ज़रूरत है, जो बाइबल के खिलाफ हैं, या वे शायद यह महसूस करें कि जिस तरह उनके जीवन-साथी परमेश्वर की सेवा में लगे हुए हैं, वैसा करना उनके बस की बात नहीं। हम ऐसे लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं?
2 निजी दिलचस्पी दिखाइए: अगर हम उन लोगों में निजी दिलचस्पी लेंगे और उनकी चिंताओं या परेशानियों को समझेंगे, तो इससे उन्हें बाइबल की सच्चाई के मुताबिक कदम उठाने में मदद मिलेगी। (फिलि. 2:4) जो जीवन-साथी पहले सच्चाई में नहीं थे, वे अकसर बताते हैं कि दूसरे साक्षियों ने कैसे उनमें निजी दिलचस्पी ली और उनके साथ अपनो जैसा बर्ताव किया। जिस पति का पहले ज़िक्र किया गया है, वह कहता है: “कलीसिया के एक प्राचीन, होसे ने मुझमें खास दिलचस्पी ली। मुझे लगता है कि उसी की हौसला-अफज़ाई की वजह से मैं आखिरकार, गंभीरता से बाइबल अध्ययन करने लगा।” एक और पति बताता है कि जो भी भाई उससे मिलने आता, वह उसके मन-पसंद विषयों पर बात करता था। वह कहता है: “मेरी पत्नी जिस धर्म को मानती है, उसके बारे में मेरा नज़रिया बदल गया। उसके दोस्त बहुत ही बुद्धिमान थे जो तरह-तरह के विषयों पर बातचीत कर सकते थे।”—1 कुरि. 9:20-23.
3 व्यावहारिक तरीके से मदद कीजिए: जो पति या पत्नी साक्षी नहीं हैं, अगर उनकी प्यार से मदद की जाए, तो उनके दिल पर गहरी छाप पड़ सकती है। (नीति. 3:27; गल. 6:10) एक दफे जब एक अविश्वासी पति की गाड़ी खराब हो गयी, तो एक जवान साक्षी ने उसकी मदद की। उस पति ने कहा: “उसने जो किया, वह मेरे दिल को छू गया।” एक और भाई ने पूरा दिन, एक बहन के अविश्वासी पति की मदद की जो अपनी ज़मीन के चारों तरफ बाड़ा बाँध रहा था। काम भी होता रहा और उनके बीच बातचीत भी, इस तरह उनमें दोस्ती हो गयी। दो हफ्ते बाद उस पति ने भाई के पास आकर कहा: “अब वक्त आ गया है कि मैं अपनी ज़िंदगी में कुछ तबदीलियाँ करूँ। क्या आप मेरे साथ बाइबल अध्ययन करेंगे?” उस पति ने तेज़ी से तरक्की की और आज वह बपतिस्मा लेकर एक साक्षी बन चुका है।
4 अपने इलाके में योग्य लोगों को ढूँढ़ने के साथ-साथ, आइए हम संगी भाई-बहनों के अविश्वासी पति-पत्नियों की भी मदद करते रहें।—1 तीमु. 2:1-4.