परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
दिसंबर 27, 2004 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों की ज़बानी चर्चा होगी। स्कूल ओवरसियर, 30 मिनट के लिए नवंबर 1 से दिसंबर 27, 2004 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर दोबारा चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: अगर किसी सवाल के बाद कोई हवाले नहीं दिए गए हैं, तो वहाँ जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी होगी।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. किसी विषय पर श्रोताओं की दिलचस्पी जगाने का सबसे बढ़िया तरीका क्या है? [be-HI पेज 218 पैरा. 2]
2. असरदार समाप्ति की पाँच खासियतें बताइए। [be-HI पेज 220 पैरा. 4–पेज 221 पैरा. 4]
3. हम यह कैसे तय कर सकते हैं कि हमारी जानकारी सही है? [be-HI पेज 224 बक्स]
4. यह कैसे तय किया जा सकता है कि हम कलीसिया में जो भाग पेश करते हैं, उससे ज़ाहिर हो कि हम पूरे दिल से कलीसिया को “सत्य का खंभा, और नेव” मानते हैं? (1 तीमु. 3:15) [be-HI पेज 224 पैरा. 1-4]
5. हाल की घटनाएँ, किसी के कहे शब्द और अनुभव बताने के लिए हम नीतिवचन 14:15 को कैसे लागू कर सकते हैं? [be-HI पेज 225 पैरा. 1]
भाग नं. 1
6. जलप्रलय से लेकर आदम की सृष्टि तक के समय की गिनती किस तरह की जा सकती है? [si पेज 286 पैरा. 12]
7. यीशु ने अपनी सेवा किस तारीख को शुरू की यह हम कैसे जान सकते हैं, और किस आधार पर यह कहा जा सकता है कि उसने सिर्फ साढ़े तीन साल तक सेवा की? [si पेज 291 पैरा. 16]
8. (क) “यरूशलेम के फिर बसाने की आज्ञा” कब दी गयी थी? (ख) यीशु इसके कितने साल बाद मसीहा के तौर पर प्रकट हुआ? (दानि. 9:24-27) [si पेज 291 पैरा. 18-19]
9. “अपने भाई से मेल मिलाप” करने के लिए सच्चे दिल से माफी माँगने में क्या शामिल है? (मत्ती 5:23, 24) [w02-HI 11/1 पेज 6 पैरा. 1, 5]
10. परमेश्वर से मिली ज़िम्मेदारी को पूरा करने के बारे में 2 राजा 13:18, 19 हमें क्या सिखाता है? [w02-HI 12/1 पेज 31 पैरा. 1-2]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. जिस जानवर का खून नहीं बहाया जाता, इस्राएली उसका मांस नहीं खा सकते थे। तो फिर उन्हें वह मांस किसी परदेशी को देने या पराए को बेचने की इजाज़त क्यों थी? (व्यव. 14:21)
12. व्यवस्थाविवरण 20:5-7 में हमारे लिए क्या सबक दिया गया है?
13. “चक्की को वा उसके ऊपर के पाट को बन्धक” रखकर ज़ब्त करना, “प्राण” को ज़ब्त करने के बराबर क्यों बताया गया है? (व्यव. 24:6)
14. इस्राएलियों को किसी भी तरह की चर्बी खाने से मना किया गया था, फिर “मेम्नों की चर्बी” खाने का क्या मतलब है? (व्यव. 32:13, 14)
15. आज के ज़माने में ऐसे कौन हैं जो आकान की तरह पाप का रास्ता इख्तियार करते हैं? (यहो. 7:1-26) [w87-HI 1/1 पेज 20 पैरा. 20]