प्रचार करने में लगे रहिए
आज वाकई कठिन समय है। देशों की आपसी लड़ाइयाँ, जाति-जाति के बीच युद्ध, कुदरती शक्तियों का कहर और रोंगटे खड़े कर देनेवाले कई हादसे तो रोज़ की बात बन गए हैं। आज, पहले से कहीं ज़्यादा इंसानों को खुशखबरी की सख्त ज़रूरत है। मगर जहाँ भी देखो, वहाँ लोगों को आध्यात्मिक बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है। कुछ इलाकों में तो लोग घर पर मिलते ही नहीं हैं। और मिलनेवालों में भी बहुत कम ऐसे हैं जो हमारी बात सुनने को तैयार हों या बाइबल का अध्ययन करना चाहते हों। इन मुश्किलों के बावजूद यह ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने में लगे रहें जो कायम हो चुका है।—मत्ती 24:14.
2 लोगों के लिए प्यार: हमारे प्रचार से ज़ाहिर होता है कि यहोवा को लोगों से कितना प्यार है। वह “नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (2 पत. 3:9; यहे. 33:11) इसलिए यहोवा ने जो आज्ञा दी उसे यीशु ने इन शब्दों में दोहराया: “अवश्य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए।” (तिरछे टाइप हमारे; मर. 13:10) परमेश्वर लोगों से अपने पास आने की गुज़ारिश करता है ताकि वे शैतान के संसार पर आनेवाले विनाश से बच सकें। (योए. 2:28, 29, 32; सप. 2:2, 3) क्या हमें यहोवा का शुक्र नहीं मानना चाहिए कि उसने हमें प्रचार करने का मौका दिया है?—1 तीमु. 1:12, 13.
3 दुनिया-भर से मिली रिपोर्ट दिखाती है कि सन् 2004 के सेवा साल के दौरान, हर महीने औसतन 60,85,387 बाइबल अध्ययन चलाए गए और हर हफ्ते तकरीबन 5,000 नए लोगों का बपतिस्मा हुआ! इन नए समर्पित चेलों में से कुछ आज सच्चाई में इसलिए हैं क्योंकि प्रचारकों ने अपने इलाके में सभी से बात करने की लगातार कोशिश की और उनकी इन कोशिशों पर यहोवा ने आशीष दी। इससे कलीसियाओं में कैसी खुशी की लहर दौड़ गयी है और जान बचानेवाले इस काम में परमेश्वर का सहकर्मी होना कितने बड़े सम्मान की बात है!—1 कुरि. 3:5, 6, 9.
4 परमेश्वर के नाम की स्तुति करना: हम प्रचार में इस वजह से भी लगे रहते हैं क्योंकि हम सबके सामने यहोवा की स्तुति करना और उसके नाम को पवित्र ठहराना चाहते हैं। (इब्रा. 13:15) शैतान ने “सारे संसार” को यह सोचने के लिए भरमाया है कि इंसानों की समस्याओं का हल करने के लिए परमेश्वर के पास शक्ति नहीं है, उसे इंसानों की दुःख-तकलीफों की रत्ती-भर भी परवाह नहीं है, या वह अस्तित्त्व में है ही नहीं। (प्रका. 12:9) मगर प्रचार काम से हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने महान पिता के पक्ष में बोल पाते हैं और उसके बारे सच्चाई बयान कर पाते हैं। इसलिए, आइए हम आज और हमेशा तक उसके नाम की स्तुति करते रहें।—भज. 145:1, 2.