पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अप्रै. 15
“क्या आप नहीं मानेंगे कि आज दुनिया में जानकारी का भंडार है? [जवाब के लिए रुकिए।] मगर इस आयत में जिस ज्ञान का ज़िक्र किया गया है, वह हर तरह की जानकारी से ज़्यादा अनमोल है। [यूहन्ना 17:3 पढ़िए।] यह पत्रिका, शब्द ‘अनन्त जीवन’ का मतलब समझाती है और यह भी कि हम वह ज्ञान कैसे पा सकते हैं जिससे हमें यह जीवन मिल सकता है।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“कई लोग सोचते हैं कि मेहनत का काम करने से वे छोटे हो जाते हैं। मगर क्या आपको मालूम है कि शास्त्र में हमें मेहनत करने का बढ़ावा दिया गया है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर सभोपदेशक 2:24 पढ़िए। इसके बाद, पेज 20 पर दिया लेख खोलिए।] यह लेख बताता है कि खासकर जवान लोगों को मेहनत-मज़दूरी के बारे में क्या नज़रिया रखना चाहिए।”
प्रहरीदुर्ग मई 1
“हर इंसान में यह तमन्ना होती है कि वह अपने मरे हुए अज़ीज़ों को दोबारा देखे। क्या आप इस बात से सहमत हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल में पुनरुत्थान का जो वादा किया गया है, उससे कइयों को दिलासा मिला है। [यूहन्ना 5:28, 29 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि पुनरुत्थान कब होगा और इससे ठीक किन्हें फायदा होगा।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“ज़िंदगी की भाग-दौड़ में आज कई लोग अपने बच्चों को वक्त नहीं दे पाते। शास्त्र के मुताबिक बच्चों को सिखाने की ज़िम्मेदारी खासकर पिता की है। [इफिसियों 6:4 पढ़िए, फिर पेज 12 पर दिया लेख निकालिए।] यह लेख बच्चों को तालीम देने के बारे में कुछ फायदेमंद सुझाव देता है।”