परमेश्वर के दोस्त बनने में दूसरों की मदद कीजिए
आज, जाति-जाति के लोगों को यहोवा के मार्गों के बारे में सिखाया जा रहा है। (यशा. 2:2,3) लेकिन अगर हम चाहते हैं कि वे ‘धीरज से फल लाएँ,’ तो यह ज़रूरी है कि उनके दिल में यहोवा के लिए सच्चा प्यार हो। (लूका 8:15; मर. 12:30) अगर उनमें यह प्यार नहीं होगा, तो वे गलत कामों को ठुकरा नहीं पाएँगे और ना ही उनमें सही काम करने की हिम्मत होगी। हम ऐसे लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वे यहोवा के साथ एक बढ़िया रिश्ता कायम कर सकें? एक तरीका है, यहोवा के गुणों के लिए उनके अंदर कदरदानी बढ़ाना। और ऐसा करने के लिए आप उन्हें यहोवा के करीब आओ किताब में दी जानकारी पर मनन करने का बढ़ावा दे सकते हैं।
2 आपकी मिसाल: आप अपनी ज़िंदगी में जो कुछ करते हैं, उसका आपके बाइबल विद्यार्थी पर ज़बरदस्त असर पड़ता है। जब वे देखते हैं कि आपको यहोवा की दोस्ती कितनी प्यारी है और कैसे इसका असर आपकी ज़िंदगी पर पड़ता है, तो शायद वे भी यहोवा के साथ एक करीबी रिश्ता जोड़ने के लिए कदम उठाएँ। (लूका 6:40) जी हाँ, अकसर हमारी बातों से ज़्यादा हमारी मिसाल का लोगों पर गहरा असर पड़ता है।
3 माता-पिता भी अपनी मिसाल से बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखा सकते हैं। (व्यव. 6:4-9) एक पति-पत्नी अपने बच्चों की परवरिश सच्चाई में करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने उन माता-पिताओं से सलाह-मशविरा किया जो ऐसा करने में कामयाब रहे हैं। पति बताता है: “उन सभी ने एक ही बात पर ज़ोर दिया कि माता-पिताओं को अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मिसाल रखनी चाहिए।” इसलिए माता-पिता अपने जीने के तरीके से बच्चों को सिखा सकते हैं कि ‘परमेश्वर के मित्र’ बनने का क्या मतलब है।—याकू. 2:23.
4 सच्चे दिल से प्रार्थना करना: यहोवा के साथ दोस्ती करने में आप एक और तरीके से लोगों की मदद कर सकते हैं और वह है, उन्हें दिल से प्रार्थना करना सिखाकर। आप उनका ध्यान यीशु की आदर्श प्रार्थना साथ ही, दिल से की गयी दूसरी ढेरों प्रार्थनाओं की तरफ खींच सकते हैं जो बाइबल में दर्ज़ हैं। (मत्ती 6:9,10) इसके अलावा, आप खुद अपनी प्रार्थनाओं से अपने बच्चों और बाइबल विद्यार्थियों को प्रार्थना करना सिखा सकते हैं। जब वे आपको दिल की गहराई से प्रार्थना करते सुनते हैं, तो वे महसूस कर पाएँगे कि आप यहोवा से कितना प्यार करते हैं। उन्हें बढ़ावा दीजिए कि मुश्किलें आने पर वे ‘प्रार्थना में नित्य लगे रहें।’ (रोमि. 12:12) जब मुश्किलों की उन घड़ियों में वे अनुभव करते हैं कि कैसे यहोवा उनकी मदद करता है, तो उस पर उनका भरोसा बढ़ जाएगा और वे उसे सच्चे दोस्त की तरह प्यार करने लगेंगे।—भज. 34:8; फिलि. 4:6,7.