घोषणाएँ
◼ जुलाई और अगस्त के लिए साहित्य पेशकश: नीचे दिए 32-पेज के ब्रोशरों में से कोई भी दिया जा सकता है: क्या आपको त्रियेक में विश्वास करना चाहिए?, क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?, जब आपका कोई अपना मर जाए, जागते रहो!, जीवन का उद्देश्य क्या है?—आप इसे कैसे पा सकते हैं?, मरने पर हमारा क्या होता है? (अँग्रेज़ी), और वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा। सितंबर: बाइबल असल में क्या सिखाती है? पहली मुलाकात में बाइबल अध्ययन शुरू करने की खास कोशिश की जानी चाहिए। अगर किसी घर-मालिक के पास यह किताब पहले से मौजूद है, तो उसे बताइए कि वह इस किताब से कैसे फायदा पा सकता है। इसके लिए कुछ मिनटों में बाइबल अध्ययन का प्रदर्शन दिखाइए। अक्टूबर: प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ। अगर कोई दिलचस्पी दिखाता है, तो बाइबल अध्ययन शुरू करने के मकसद से उसे ट्रैक्ट, क्या आप बाइबल के बारे में और ज़्यादा जानना चाहते हैं? पेश कीजिए और उस पर चर्चा कीजिए।
◼ सितंबर का महीना, सहयोगी पायनियर सेवा करने के लिए बढ़िया रहेगा क्योंकि इसमें पाँच शनिवार-रविवार हैं।
◼ सितंबर से सर्किट अध्यक्ष जो जन भाषण देंगे, उसका विषय है: “क्या बातें हैं जो बाइबल को भरोसेमंद साबित करती हैं?”
◼ हम आपको बताना चाहते हैं कि (रेग्युलर) पायनियर सेवा की अर्ज़ियाँ, पायनियर सेवा शुरू करने के लिए गुज़ारिश की गयी तारीख से कम-से-कम 30 दिन पहले भरकर शाखा दफ्तर को भेज देनी चाहिए। इन अर्ज़ियों को भेजने से पहले, कलीसिया के सचिव को देखना चाहिए कि ये पूरी तरह भरी गयी हों। अगर अर्ज़ी भरनेवालों को अपने बपतिस्मे की तारीख सही-सही याद नहीं है, तो वे अंदाज़न कोई तारीख लिख सकते हैं और आगे के लिए इसका रिकॉर्ड रख सकते हैं। सचिव को कलीसिया प्रचारक रिकॉर्ड (S-21) कार्ड पर भी यही तारीख लिखनी चाहिए।
◼ अगर काबिल प्रचारक या पायनियर ऐसे इलाकों में जाकर प्रचार कर सकते हैं, जहाँ बहुत कम प्रचार हुआ है और वे ऐसा करने में दिलचस्पी भी रखते हैं, तो वे इस बारे में अपने सर्किट अध्यक्ष और अपनी कलीसिया की सेवा समिति से बात कर सकते हैं। ये इलाके, उनके कसबे के पास या फिर कहीं और हो सकते हैं। अगर वे प्रचारक आध्यात्मिक रूप से काबिल हैं, तो सेवा समिति, शाखा दफ्तर को खत लिखकर उनकी सिफारिश करेगी। (od-HI पेज 111 ¶1 से पेज 112 ¶1 देखिए।)
◼ कलीसियाओं के पास फिलहाल जिन साहित्य और पत्रिकाओं का स्टॉक है, उसकी सालाना इन्वेंट्री अगर हो सके तो 31 अगस्त, 2007 को या उसके बाद जल्द-से-जल्द लेनी चाहिए। यह इन्वेंट्री उसी तरह लेनी चाहिए जिस तरह हर महीने लिट्रेचर कोऑर्डिनेटर साहित्य की गिनती करता है। साहित्य की कुल संख्या लिट्रेचर इन्वेंट्री (S-18) फॉर्म पर लिखनी चाहिए। कलीसिया के पास जो पत्रिकाएँ हैं, उनकी कुल गिनती मैगज़ीन सर्वेन्ट्स से मिल सकती है। साहित्य और पत्रिकाओं की देखरेख करनेवाली कलीसिया के सचिव की निगरानी में यह इन्वेंट्री ली जानी चाहिए। वह भाई और उसी कलीसिया का प्रमुख अध्यक्ष, दोनों इस फॉर्म पर दस्तखत करेंगे। साहित्य और पत्रिकाओं की देखरेख करनेवाली हर कलीसिया को लिट्रेचर इन्वेंट्री फॉर्म की तीन कॉपियाँ मिलेंगी। कृपया सितंबर 6 तक ओरिजिनल फॉर्म को डाक के ज़रिए शाखा दफ्तर को ज़रूर भेज दीजिए। एक कॉपी अपनी फाइल में रखिए। और तीसरी कॉपी को वर्क-शीट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
◼ दोबारा उपलब्ध प्रकाशन:
जीवन का उद्देश्य क्या है?—आप इसे कैसे पा सकते हैं? —अँग्रेज़ी, कन्नड़, गुजराती, तमिल, तेलगू, नेपाली, बंगला, मराठी, मलयालम, हिंदी