परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
दिसंबर 31, 2007 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 30 मिनट के लिए नवंबर 5 से दिसंबर 31, 2007 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
भाषण के गुण
1. असरदार समाप्ति के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? [be-HI पेज 220 पैरा. 4–पेज 221 पैरा. 3]
2. हम यह कैसे पक्का कर सकते हैं कि प्रचार काम में हम लोगों को जो जानकारी दे रहे हैं, वह सही है या नहीं? [be-HI पेज 223 पैरा. 2-4]
3. कलीसिया में हम जो भाग पेश करते हैं, उनसे हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम पूरे दिल से कलीसिया को “सत्य का खंभा, और नेव” मानते हैं? (1 तीमु. 3:15) [be-HI पेज 224 पैरा. 1-4]
4. अपनी जानकारी की सच्चाई को परखना क्यों ज़रूरी है, और हम यह कैसे कर सकते हैं? [be-HI पेज 225 पैरा. 1-2]
5. दूसरों को सिखाते वक्त, हम अपनी जानकारी को कैसे सरल बना सकते हैं जिससे कि वे आसानी से समझ सकें? [be-HI पेज 226 पैरा. 3–पेज 227 पैरा. 2]
भाग नं. 1
6. क्या बात साबित करती है कि योना का पूरा ब्यौरा सच्चा है? [bsi07-HI पेज 18 पैरा. 3]
7. मीका की कौन-सी भविष्यवाणी, परमेश्वर के राज्य की हुकूमत से ताल्लुक रखती है, जिसका राजा यीशु मसीह है? [bsi07-HI पेज 21 पैरा. 18]
8. हबक्कूक की किताब ईश्वर-प्रेरित है, इस बात के क्या सबूत हैं? [bsi07-HI पेज 23 पैरा. 4]
9. यह क्यों कहा जा सकता है कि यहूदी जिस मकसद से बंधुआई से छूटकर अपने वतन लौट आए थे, उस मकसद को उन्होंने सा.यु.पू. 520 तक पूरा नहीं किया था? (हाग्गै 1:4) [bsi07-HI पेज 27 पैरा. 3]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. कीड़ों के हमले के बारे में की गयी योएल की भविष्यवाणी, पहली सदी में कैसे पूरी हुई और आज कैसे पूरी हो रही है? (योए. 2:1-10, 28) [w07-HI 10/1 “यहोवा का वचन जीवित है—योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ”]
12. “धूपकाल के फलों से भरी हुई एक टोकरी” का मतलब क्या था? (आमो. 8:1, 2) [w07-HI 10/1 “यहोवा का वचन जीवित है—योएल और आमोस किताबों की झलकियाँ”]
13. यहोवा ने किस मायने में ‘अपनी इच्छा बदल दी, और नीनवे के लोगों की जो हानि करने की ठानी थी, उसे नहीं किया,’ और इस बात का हम पर कैसा असर होना चाहिए? (योना 3:10) [w03-HI 7/15 पेज 17-18]
14. यहोवा का नाम लेकर चलने का क्या मतलब है? (मीका 4:5) [w03-HI 8/15 पेज 17 पैरा. 19]
15. आज के समय में, यहोवा न्याय करने के लिए अपने “मंदिर” में कब और कैसे आया? (मला. 3:1-3) [w04-HI 3/1 पेज 16 पैरा. 15-18; ip-2-HI पेज 348 पैरा. 24; पेज 397 पैरा. 14]