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◼ क्या एक यहोवा के साक्षी के लिए किसी ऐसे अस्पताल या नर्सिंग होम में इलाज करवाना सही होगा, जिसे कोई धार्मिक संस्था चलाती है?

आज बहुत-सी धार्मिक संस्थाएँ अस्पताल और नर्सिंग होम चलाती हैं, जिनमें लोगों का इलाज किया जाता है और उन लोगों की देखभाल की जाती है, जो लंबे समय से बीमार हैं। आमतौर पर ऐसे अस्पताल और नर्सिंग होम इसलिए नहीं खोले जाते कि इनके ज़रिए बड़े बाबुल के कामों को बढ़ावा दिया जा सके। (प्रका. 18:2, 4) हो सकता है कि जब इन्हें खोला गया था, तब यह मकसद रहा हो कि इससे संस्था के लिए पैसा कमाया जा सके। आज कुछ अस्पताल सिर्फ नाम से लगते हैं कि वे धर्म से जुड़े हैं। जबकि कुछ अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें काम करनेवाले कुछ लोग पादरी वर्ग के होते हैं।

अगर किसी यहोवा के साक्षी को अस्पताल या नर्सिंग होम में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ती है, तो उसे खुद यह फैसला करना चाहिए कि वह ऐसे अस्पताल में भर्ती होना चाहेगा या नहीं, जो एक धार्मिक संस्था से जुड़ा है। इस मामले में एक मसीही का विवेक शायद इसकी इजाज़त दे, जबकि दूसरे का विवेक ऐसा करने की इजाज़त न दे। (1 तीमु. 1:5) लेकिन ऐसे कुछ हालात हो सकते हैं, जिनका एक मसीही के फैसले पर असर पड़ सकता है। आइए ऐसे हालात पर गौर करें।

मिसाल के लिए, आस-पास के इलाके में सिर्फ एक ही अस्पताल या नर्सिंग होम हो और वो भी किसी धार्मिक संस्था से जुड़ा हो। या अगर कोई दूसरा अस्पताल नज़दीक है भी, तो उसमें उतनी अच्छी देखभाल नहीं की जाती, जितनी कि उस अस्पताल में की जाती है, जो शायद धार्मिक संस्था के ज़रिए चलाया जा रहा है। हो सकता है कि सिर्फ उसी अस्पताल में ऐसे उपकरण या मशीनें उपलब्ध हों, जो किसी खास इलाज के लिए ज़रूरी हैं। या शायद वही एक अस्पताल हो, जिसमें आपके डॉक्टर या सर्जन को मरीज़ों का इलाज करने की इजाज़त है। इसके अलावा, कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि जिस अस्पताल का धार्मिक संस्था से ताल्लुक है, वहाँ लहू के बारे में आपके मसीही नज़रिए की कदर की जाती है, जबकि दूसरे प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ऐसा नहीं किया जाता। इसलिए आप किस अस्पताल या नर्सिंग होम में भर्ती होंगे, यह फैसला करते वक्‍त इन बातों पर गौर करना अच्छा होगा।

अगर आप किसी धार्मिक संस्था से जुड़े अस्पताल या नर्सिंग होम में भर्ती होने का फैसला करते हैं, तो आप शायद सोचें कि आपको वहाँ जो सेवाएँ उपलब्ध करायी जा रही हैं, आप सिर्फ उनके लिए पैसा दे रहे हैं। ठीक जैसे अगर कोई धार्मिक संस्था एक कारोबार चलाती है और अगर आप उसकी सेवाएँ खरीदते हैं, तो बदले में उसे पैसे देते हैं। ऐसा करके आप सीधे-सीधे झूठे धर्म को दान नहीं दे रहे होते। इसके बजाय, आप सिर्फ खरीदी गई चीज़ों या सेवाओं के लिए भुगतान कर रहे होते हैं।

मसीही होने के नाते, आपको ऐसे हालात में एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि आप झूठे धर्म के किसी भी काम में हिस्सा न लें। इसके अलावा, आप उस अस्पताल या नर्सिंग होम के कर्मचारियों को या मरीज़ों से मुलाकात करने के लिए आनेवालों को धार्मिक उपाधियों जैसे “फादर” या “सिस्टर” कहकर ना बुलाएँ। (मत्ती 23:9) आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अस्पताल में आपको इलाज या सेवाएँ मिल रही हैं, जिसके बदले आप उन्हें पैसे दे रहे हैं और उनकी दूसरी बातों से आपका कोई लेना-देना नहीं।

जब आप अस्पताल में भर्ती होते हैं, तो उन्हें बता सकते हैं कि आप एक यहोवा के साक्षी हैं और कलीसिया के प्राचीन आपसे मिलने आते रहेंगे। इससे यह फायदा होगा कि आप जितने भी दिन भर्ती रहेंगे, प्राचीन आकर आपकी हौसला-अफज़ाई करते रहेंगे।—1 थिस्स. 5:14.

परिवार के उन सदस्यों की जो साक्षी हैं, साथ ही प्राचीनों और कलीसिया के दूसरे भाई-बहनों की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे उन बुज़ुर्ग भाई-बहनों को परमेश्‍वर की उपासना से जुड़े मामलों में मदद दें, जो नर्सिंग होम में रहते हैं। यह खासकर तब और भी ज़रूरी होता है जब नर्सिंग होम को कोई धार्मिक संस्था चला रही है। जब आप लगन के साथ इस ज़िम्मेदारी को पूरा करेंगे, तो इससे उन बुज़ुर्ग भाई-बहनों की हिम्मत बढ़ेगी और वे झूठे धर्म से जुड़े समारोहों, त्योहारों या ऐसे ही दूसरे कामों में गलती से भी हिस्सा लेने से बचे रहेंगे।

ऊपर बतायी बातों को ध्यान में रखते हुए, हममें से हरेक को सारे हालात पर विचार करना चाहिए। और इसके बाद फैसला करना चाहिए कि हम किस अस्पताल या नर्सिंग होम में भर्ती होंगे।—गल. 6:5.

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