प्रश्न बक्स
◼ क्या माता-पिता दोनों उस समय को अपनी प्रचार रिपोर्ट में शामिल कर सकते हैं, जो वे हर हफ्ते पारिवारिक बाइबल अध्ययन में बिताते हैं?
हालाँकि बच्चों को “प्रभु की शिक्षा, और चितावनी” देकर पालन-पोषण करने की ज़िम्मेदारी खासकर पिताओं की होती है, मगर बच्चों को तालीम देने में मांएँ भी भूमिका निभाती हैं। (इफि. 6:4) बाइबल बच्चों को बढ़ावा देती है: “हे मरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज।” (नीति. 1:8) बच्चों को तालीम देने का एक अहम ज़रिया है, पारिवारिक बाइबल अध्ययन।
अब तक यह होता आया है कि माता-पिता में से जो भी अपने बपतिस्मा-रहित बच्चों के साथ पारिवारिक बाइबल अध्ययन करता था, सिर्फ वही इस अध्ययन में बिताए समय की रिपोर्ट करता था, फिर चाहे चर्चा में दोनों हिस्सा क्यों न लें। मगर अब इस इंतज़ाम में एक बदलाव किया जा रहा है। अब से अगर पारिवारिक बाइबल अध्ययन में माता-पिता मिलकर अपने बच्चों को तालीम देते हैं, तो वे दोनों हर हफ्ते ज़्यादा-से-ज़्यादा एक घंटा रिपोर्ट कर सकते हैं। यह सच है कि माता-पिता अकसर अपने बच्चों को सिखाने के लिए हफ्ते में एक घंटे से ज़्यादा समय बिताते हैं। क्योंकि बच्चों को तालीम देने के लिए उन्हें लगातार मेहनत करने की ज़रूरत पड़ती है। (व्यव. 6:6-9) लेकिन महीने की प्रचार रिपोर्ट में खासकर उस समय का हिसाब होना चाहिए, जो हम प्रचार में बिताते हैं। इसलिए पारिवारिक अध्ययन चाहे एक घंटे से ज़्यादा चलाया जाए, या हफ्ते में कई बार चलाया जाए, या फिर हर बच्चे के साथ अलग-अलग अध्ययन किया जाए, हफ्ते में सिर्फ एक घंटे की रिपोर्ट की जानी चाहिए। इसके अलावा, माता-पिता में से सिर्फ एक को पारिवारिक बाइबल अध्ययन की और हफ्ते में एक वापसी भेंट की रिपोर्ट करनी चाहिए।