क्या आप फेरबदल करने को तैयार हैं?
परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाना एक पवित्र सेवा है। तो आइए यह काम करते वक्त हम हमेशा उसके वचन में दी बुद्धि और मिसालों पर चलें, ताकि हालात के मुताबिक अपने प्रचार करने के तरीके में फेरबदल कर सकें। प्रेरितों की किताब में दिया वाकया दिखाता है कि पहली सदी के मसीहियों ने कैसे परमेश्वर से मिली ज़िम्मेदारी पूरी की, लेकिन इसके लिए उन्होंने व्यावहारिक बुद्धि भी दिखायी। (मत्ती 28:19,20) उदाहरण के लिए, जब पौलुस ने इकुनियुम में विरोध का सामना किया तो वह उस जगह को छोड़कर दूसरी जगह चला गया। (प्रेरि. 14:5,6) उसने और उसके साथियों ने बुद्धि से काम लिया और दूसरों को सुसमाचार सुनाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए। (प्रेरि. 16:13) हालाँकि हम विरोधियों से डरते नहीं और यहोवा की आज्ञा भी सदा मानते रहेंगे, लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि हम प्रचार करने के कुछ तरीकों से चिपके रहें। अगर हालात माँग करते हैं तो हमें गवाही देने के अपने तरीकों में फेरबदल करनी चाहिए। (फिलि. 1:28; प्रेरि. 5:29) तो क्या हम इस मामले में व्यावहारिक बुद्धि दिखा रहे हैं?
2 हाल ही में, कुछ राज्यों में ऐसी घटनाएँ घटी हैं जिनसे ज़ाहिर होता है कि सच्ची उपासना के दुश्मन अब भी मौजूद हैं। हालाँकि कट्टरपंथियों ने अलग-अलग वजहों से हंगामे किए हैं, लेकिन इन सबके पीछे शैतान का ही हाथ है। वही कट्टरपंथियों का इस्तेमाल करके लोगों को गुमराह करता है, ताकि वे सच्चे मसीहियों के नेक इरादों पर उँगली उठाएँ और दूसरों तक सुसमाचार पहुँचाने में रोक लगा सकें। ऐसा ही कुछ पौलुस के समय, इफिसुस में भी हुआ था। (प्रेरि. 19:23-28) तो यह देखते हुए कि गवाही का काम रोकने के लिए अलग-अलग पैंतरे अपनाए गए हैं, हमें ठान लेना चाहिए कि हम यहोवा के नाम और उसके मकसद को बुलंद करते रहेंगे। मगर साथ ही हम सुसमाचार सुनाने के तरीके में फेरबदल भी करेंगे।
3 अच्छा इंतज़ाम: यह बुद्धिमानी होगी कि प्रचार समूह में अगुवाई करनेवाले प्राचीन और सहायक सेवक भाई-बहनों को प्रचार के इलाके में भेजने से पहले ही सारी हिदायतें दे दें कि उन्हें कहाँ और किसके साथ काम करना है। बजाय इसके कि सड़क के किनारे खड़े होकर ऐसा करें। इससे बेवजह लोगों का ध्यान हम पर नहीं जाएगा। किस प्रचारक को कौन-सा इलाका देना है, अगर इस बारे में भाई पहले से सोच ले, तो प्रचार के इलाके में बड़ा समूह जमा करने से बचा जा सकता है।
4 प्रचार में लोगों की नज़रों में न आना, बुद्धिमानी है। एक वक्त था, जब हमारा अलग दिखना और हिम्मत दिखाना हमें गवाही देने के मौके देता था। लेकिन अब यही बात हमारे प्रचार काम में रुकावट बनी है, यहाँ तक कि हमारी जान पर बन आयी है। इसलिए प्रचार करने के तरीके में फेरबदल न करना मूर्खता होगी। प्रचार समूह हमेशा छोटा रखना चाहिए। एक बड़े दल के साथ प्रचार के इलाके में ‘हमला’ मत बोलिए। हर प्रचारक या प्रचारक जोड़े को कम-से-कम दो-तीन हफ्ते तक गवाही देने के लिए प्रचार का भरपूर इलाका दीजिए। वे अपने समय और सहूलियत के मुताबिक वहाँ गवाही देते रहेंगे, लेकिन उन्हें समूह अध्यक्ष को इसकी बराबर खबर देते रहनी चाहिए। समूह अध्यक्षों को और दूसरे, जो प्रचार समूह की अगुवाई करते हैं, अपने तरीके में फेरबदल करने की ज़रूरत है।
5 क्या आप फेरबदल करने को तैयार हैं?: जहाँ तक मुमकिन हो हम घर-घर का प्रचार करना चाहते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ इलाकों में किसी और तरीके से गवाही देना बुद्धिमानी होगी। या फिर, दूसरे देशों के भाइयों की तरह आप अपने इलाके की जिस गली में जाते हैं, वहाँ सिर्फ एक घर में बात कीजिए। इसके बाद आप दूसरी गली में जाकर किसी और घर में बात कर सकते हैं। हाँ, इसमें वक्त तो ज़ाया होगा, लेकिन हमारे घर-घर की गवाही पर रोक लगाने के दुश्मनों के मंसूबे नाकाम हो सकते हैं।
6 प्रचार के दौरान हर वक्त अपने आस-पास के हालात पर नज़र रखना मत भूलिए। इस तरह सचेत रहने से आप लोगों के गलत इरादों को भाँप सकेंगे और मुसीबत में पड़ने से बच सकेंगे। जब आप किसी से बात शुरू करते हैं तो उसके जवाब को ध्यान से सुनिए। आप घर-मालिक से क्या कहेंगे, अगर इस बारे में आप पहले से सोचें और फिर उसके जवाब पर भी अच्छी तरह गौर करें तो आप फट-से समझ जाएँगे कि वह दोस्ताना है या नहीं। अच्छी तैयारी करने से आपकी हिफाज़त हो सकती है। अगर कोई नेक इरादे से हमारे और हमारे मकसद के बारे में कुछ पूछता है, तो आप यहोवा के साक्षियों का जवाब ट्रैक्ट का इस्तेमाल करके उन्हें जवाब दे सकते हैं।
7 आप यहोवा परमेश्वर पर अपना भरोसा बनाए रखिए। वह माँगने पर आपको अपनी पवित्र शक्ति ज़रूर देगा। (लूका 11:13) अगर हम प्रचार के तरीके में फेरबदल करने के लिए तैयार रहते हैं, तो इससे हम दिखाएँगे कि हम यहोवा की सबसे बेहतरीन मिसाल पर चल रहे हैं। अपनी इच्छा पूरी करने के लिए यहोवा ऐसी कोई योजना नहीं बनाता, जिसमें फेरबदल न की जा सके या जो उसके मकसद को अंजाम देने में रुकावट बन जाए। उसके लक्ष्य, उसके मकसद के हिसाब से हर हाल में पूरे होते हैं।—यशा. 55:11; इफि. 1:9-11.