परमेश्वर की सेवा स्कूल पर चर्चा
25 अप्रैल, 2011 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल निगरान 20 मिनट के लिए 7 मार्च से 25 अप्रैल, 2011 तक के हफ्तों में पेश किए गए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
1. “उस देश के लोगों में से बहुत लोग यहूदी बन गए,” यह कैसे हुआ? (एस्तेर 8:17) [प्रहरीदुर्ग 06 3/1 पेज 11 पैरा. 3]
2. शैतान को यहोवा के सामने हाज़िर होने की इजाज़त क्यों दी गयी? (अय्यूब 1:6; 2:1) [प्रहरीदुर्ग 06 3/15 पेज 13 पैरा. 6]
3. शैतान के इस सवाल का क्या मतलब है, “क्या अय्यूब परमेश्वर का भय बिना लाभ के मानता है?” (अय्यूब 1:9) [प्रहरीदुर्ग 94 11/1 पेज 18 पैरा. 6]
4. यह जानकर कि यहोवा “बुद्धिमान और अति सामर्थी है,” क्यों उस पर हमारा विश्वास और भी बढ़ जाता है? (अय्यूब 9:4) [प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 16 पैरा. 16]
5. एलीपज के ये शब्द कि इंसान “कुटिलता को पानी की नाईं पीता है,” किस तरह शैतान की सोच ज़ाहिर करते हैं? (अय्यूब 15:16) [प्रहरीदुर्ग 10 2/15 पेज 20 पैरा. 1-2]
6. अय्यूब 19:2 में दर्ज़ अय्यूब की गुहार से हम क्या सीख सकते हैं? [प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 32]
7. किस बात ने अय्यूब को अपनी खराई पर बने रहने में मदद दी? (अय्यूब 27:5) [प्रहरीदुर्ग 09 4/15 पेज 6 पैरा. 17]
8. जब दूसरों को हमारी मदद की ज़रूरत होती है तो हम अय्यूब की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? (अय्यूब 29:12, 13) [प्रहरीदुर्ग 02 5/15 पेज 22 पैरा. 19]
9. एलीहू की सलाह अय्यूब के तीन साथियों से कैसे बिलकुल अलग थी? (अय्यूब 33:1, 6) [प्रहरीदुर्ग 95 2/15 पेज 29 पैरा. 3]
10. यहोवा की हैरतअंगेज़ रचनाओं पर ध्यान लगाने से हम पर क्या असर होना चाहिए? (अय्यूब 37:14) [प्रहरीदुर्ग 06 3/15 पेज 16 पैरा. 4]