परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
29 अप्रैल, 2013 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर स्कूल में चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. मरकुस 10:6-9 में यीशु ने शादी के बारे में कौन-सी गंभीर बात याद दिलायी? [4 मार्च, प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 30 पैरा. 8]
2. पूरी जान से यहोवा की सेवा करने का क्या मतलब है? (मर. 12: 30) [4 मार्च, प्रहरीदुर्ग 97 10/15 पेज 13 पैरा. 4]
3. मरकुस 13:8 में बतायी ‘प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतें’ किस बात को दर्शाती हैं? [11 मार्च, प्रहरीदुर्ग 08 3/15 पेज 12 पैरा. 2]
4. लूका ने अपनी खुशखबरी की किताब लिखते वक्त किन पुरालेखों का इस्तेमाल किया? (लूका 1:3) [18 मार्च, प्रहरीदुर्ग 09 3/15 पेज 32 पैरा. 4]
5. शैतान हमारी खराई परखने का “सही मौका” ढूँढ़ता है, यह बात हमें क्या करने का बढ़ावा देती है? (लूका 4:13) [25 मार्च, प्रहरीदुर्ग 11 1/15 पेज 23 पैरा. 10]
6. लूका 6:27, 28 में दर्ज़ शब्दों को हम कैसे लागू कर सकते है? [25 मार्च, प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 8 पैरा. 4]
7. यीशु अपना फिरौती बलिदान देने से पहले एक स्त्री के पाप कैसे माफ कर सकता था? (लूका 7:37, 48) [1 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 10 8/15 पेज 6-7]
8. मसीह के चेले किस मायने में अपने नाते-रिश्तेदारों से “नफरत” करते हैं? (लूका 14:26) [15 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 08 3/15 पेज 32 पैरा. 1; प्रहरीदुर्ग 92 7/15 पेज 9 पैरा. 3-5]
9. ‘सूरज, चाँद और तारों में जो निशानियाँ दिखायी देंगी’ उसका इंसानों पर क्या असर होगा? (लूका 21:25) [22 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 97 4/1 पेज 15 पैरा. 8-9]
10. आज़माइशों का सामना करते वक्त यीशु ने जिस तरह प्रार्थना की, उसकी रखी इस मिसाल पर हम कैसे चल सकते है? (लूका 22:44) [29 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 07 8/1 पेज 6 पैरा. 2]