परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
24 जून, 2013 से शुरु होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर स्कूल में चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. किस मंदिर को “बनाने में छियालिस साल लगे” थे? (यूह. 2:20) [6 मई, प्रहरीदुर्ग 08 4/15 पेज 30 पैरा. 6]
2. मसीह के चेले कब अपने आप में जीवन पाते या भरपूर ज़िंदगी हासिल करते हैं? (यूह. 6:53) [13 मई, प्रहरीदुर्ग 03 9/15 पेज 31 पैरा. 3]
3. समझाइए कि यीशु ने किस तरह असिद्ध इंसानों पर अपने पिता को ज़ाहिर किया। (यूह. 8:28) [20 मई, प्रहरीदुर्ग 11 4/1 पेज 7 पैरा. 3]
4. अपने दोस्त लाज़र की मौत पर यीशु के “आंसू बहने लगे,” यीशु की इस बात से हमें क्या पता चलता है? (यूह. 11:35) [20 मई, प्रहरीदुर्ग 12 4/15 पेज 5 पैरा. 10]
5. यीशु ने किस तरह अपने वफादार चेलों के लिए स्वर्ग में एक “जगह तैयार” की? (यूह. 14:2) [27 मई, प्रहरीदुर्ग 08 4/15 पेज 32 पैरा. 3]
6. पक्के तौर पर हम कैसे कह सकते हैं कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति हमारा मार्गदर्शन करती है? (यूह. 14:26) [27 मई, प्रहरीदुर्ग 11 12/15 पेज 14-15 पैरा. 9]
7. यूहन्ना 21:15 में बताए शब्द “इन से” का क्या मतलब है और इस ब्यौरे से हम क्या सीखते हैं? [3 जून, प्रहरीदुर्ग 08 4/15 पेज 32 पैरा. 11]
8. प्रेषितों 2:44-47 और 4:34, 35 के मुताबिक मसीहियों को कैसी भावना दिखानी चाहिए? [10 जून, प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 30 पैरा. 5]
9. प्रेषितों 7:59 के मुताबिक क्या स्तिफनुस यीशु से प्रार्थना कर रहा था? [17 जून, प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 31 पैरा. 2]
10. प्रेषितों 9:28-30 में बतायी बातों से हम क्या सबक सीख सकते हैं? [24 जून, प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 31 पैरा. 6]