परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
29 दिसंबर, 2014 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी।
व्यवस्थाविवरण 14:1 में किसी व्यक्ति की मौत पर शोक मनाते वक्त अपने शरीर को चीरने-फाड़ने की मनाही की गयी थी। इस आज्ञा को हमें किस नज़र से देखना चाहिए? [3 नवं., प्रहरीदुर्ग 04 9/15 पेज 27 पैरा. 3]
इसराएल के राजाओं को परमेश्वर के कानून की एक नकल बनाकर रखनी होती थी और उसे ‘जीवन भर पढ़ना’ होता था। ऐसा करने के पीछे क्या मकसद था? (व्यव. 17:18-20) [3 नवं., प्रहरीदुर्ग 02 6/15 पेज 12 पैरा. 4]
यह क्यों कहा गया था कि “बैल और गदहा दोनों संग जोतकर हल न चलाना”? और बेमेल जुए में न जुतने की आज्ञा आज मसीहियों पर कैसे लागू होती है? (व्यव. 22:10) [10 नवं., प्रहरीदुर्ग 03 10/15 पेज 32]
“चक्की या उसके ऊपरी पाट को बन्धक” के तौर पर रखकर ज़ब्त करने से क्यों मना किया गया था? (व्यव. 24:6) [17 नवं., प्रहरीदुर्ग 04 9/15 पेज 26 पैरा. 2]
इसराएलियों को किस रवैए के साथ परमेश्वर की आज्ञा माननी और सेवा करनी थी? और यहोवा की सेवा करने के लिए हमें क्या बात उकसानी चाहिए? (व्यव. 28:47) [24 नवं., प्रहरीदुर्ग 10 9/15 पेज 8 पैरा. 4]
व्यवस्थाविवरण 30:19, 20 में कौन-सी तीन बुनियादी ज़रूरतें बतायी गयी हैं, जो जीवन पाने के लिए ज़रूरी हैं? [24 नवं., प्रहरीदुर्ग 10 2/15 पेज 28 पैरा. 17]
क्या यह ज़रूरी है कि हम उत्पत्ति से प्रकाशितवाक्य की किताबों की सारी आयतें धीमी आवाज़ में पढ़ें? समझाइए। (यहो. 1:8) [8 दिसं., प्रहरीदुर्ग 13 4/15 पेज 7-8 पैरा. 4]
यहोशू 5:14, 15 में ज़िक्र किया गया “यहोवा की सेना का प्रधान” कौन है? इस ब्यौरे से कैसे हमारा हौसला बढ़ सकता है? [8 दिसं., प्रहरीदुर्ग 04 12/1 पेज 9 पैरा. 2]
किस वजह से आकान पाप में फँसा? उसकी इस बुरी मिसाल से हम क्या सीख सकते हैं? (यहो. 7:20, 21) [15 दिसं., प्रहरीदुर्ग 10 4/15 पेज 20-21 पैरा. 2, 5]
कालेब की मिसाल कैसे आज हमारा हौसला बढ़ाती है? (यहो. 14:10-13) [29 दिसं., प्रहरीदुर्ग 04 12/1 पेज 12 पैरा. 2]