जीएँ मसीहियों की तरह
प्रचार करना और सिखाना—चेला बनाने के लिए ज़रूरी
यीशु ने मसीहियों को आज्ञा दी कि वे लोगों के पास जाएँ और उन्हें उसका चेला बनाएँ। (मत 28:19) इसके लिए ज़रूरी है कि वे प्रचार करें और लोगों को सिखाएँ। समय-समय पर हर मसीही को सोचना चाहिए, ‘मैं प्रचार करने और सिखाने के काम में सुधार कैसे कर सकता हूँ?’
प्रचार कीजिए
हमें इस इंतज़ार में नहीं रहना है कि लोग सच्चाई जानने के लिए हमारे पास आएँ। हमें खुद जाकर “योग्य” लोगों को ढूँढ़ना है। (मत 10:11) क्या प्रचार करते वक्त हम मौके की तलाश में रहते हैं कि हमें जो भी व्यक्ति मिले, उसे हम संदेश सुना सकें? (प्रेष 17:17) पौलुस मौका तलाशकर प्रचार करता था। उसकी इस लगन की वजह से लुदिया यीशु की एक शिष्या बन पायी।—प्रेष 16:13-15.
“सुबह अपना बीज बो और शाम तक अपना हाथ मत रोक” (सभो 11:6)
“बिना नागा” प्रचार कीजिए—मौका ढूँढ़कर और घर-घर जाकर नाम का वीडियो देखिए और नीचे दिए सवालों के जवाब दीजिए:
सैमयल काम की जगह पर मौके तलाशकर सच्चाई के बीज कैसे बोता था?
यह क्यों ज़रूरी है कि हम हर तरीका अपनाकर प्रचार करते रहें?
आप अपने काम की जगह या दूसरे मौकों पर किस-किसको गवाही दे सकते हैं?
सिखाइए
चेला बनाने के लिए लोगों को सिर्फ प्रकाशन देना काफी नहीं है। सच्चाई में उनकी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए हमें उनसे दोबारा मिलना चाहिए और बाइबल अध्ययन शुरू करना चाहिए। (1कुर 3:6-9) लेकिन बहुत मेहनत से सिखाने के बावजूद अगर एक व्यक्ति तरक्की नहीं करता, तो हमें क्या करना चाहिए? (मत 13:19-22) हमें ऐसे लोगों को ढूँढ़ना चाहिए, जिनका दिल “बढ़िया मिट्टी” की तरह है।—मत 13:23; प्रेष 13:48.
“मैंने लगाया, अपुल्लोस ने पानी देकर सींचा लेकिन परमेश्वर उसे बढ़ाता रहा” (1कुरिं 3:6)
“बिना नागा” प्रचार कीजिए—सरेआम गवाही देकर और चेला बनाकर नाम का वीडियो देखिए और नीचे दिए सवालों के जवाब दीजिए:
जो सच्चाई का बीज ऐज़िकेल और अबीगैल के दिल में बोया गया था, उसे सौलमन और मैरी ने पानी कैसे दिया?
हम चाहे सरेआम गवाही दें या किसी और तरीके से प्रचार करें, हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए?
हम अपना ध्यान सच्चाई सिखाने में पूरी तरह कैसे लगा सकते हैं?